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इस जन्म में भुगतना पड़ता है पिछले कर्मों का फल, Premanand Maharaj ने दिया जवाब

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धर्म: ऐसा बोला जाता है कि पिछले जन्मों का फल इस जन्म में भुगतना पड़ता है पर इस बात में कितनी सच्चाई है। यह कोई नहीं जानता। अब प्रेमानंद महाराज ने इस पर जवाब दिया है। महाराज के अनुसार, कर्म का सिद्धांत ही ईश्वर की सबसे पहली न्याय व्यवस्था है। उनका यह कहना है कि इन दुनिया में जब कोई भी अपराध कर दे तो उसी दिन उसको सजा नहीं मिलती वैसे ही भगवान की अदालत में भी तुरंत कर्मों का फल नहीं मिलता।

उस दरबार में नहीं चलती रिश्वत

उन्होंने आगे कहा कि यदि कोई कत्ल कर दे तो क्या उसको उसी दिन फांसी दी जाती है? नहीं न पहले मुकदमा चलता है फिर कुछ लोग गवाही देते हैं और इसके बाद वकील को फैसले तक पहुंचने में समय लगता है। ऐसे ही हमारे पिछले जन्मों के कर्म भी एक अद्भूत और विशाल-न्याय व्यवस्था के अंतर्गत आते हैं। भगवान के दरबार में किसी की गवाही, सिफारिश या रिश्वत की जरुरत नहीं पड़ती।

सौ-सौ जन्मों का फल भी मिल जाता है

उस अदालत में सिर्फ न्याय और सच्चाई ही चलती है। प्रेमानंद महाराज के अनुसार, ब्रह्मांड जितना बड़ा है उतना ही बड़ा हमारे कर्मों का लेखा भी होता है इसलिए कभी-कभी सौ-सौ जन्मों का फल भी किसी चरण में सामने आ ही जाता है।

भगवान रखते हैं पूरा हिसाब

भगवान की अदालत बहुत बड़ी होती है। वहां पर कई सारे जीवों और अनंत लोगों का हिसाब रखा जाता है। इसी कारण कर्मों का रजिस्टर देर से खुलता है।

कर्म का मिलेगा फल

हम समझते हैं कि अब तो पाप भूल गया होगा लेकिन भगवान कभी भी नहीं भूलते। वो बस उचित समय का इंतजार करते हैं। जब वो रजिस्टर खुलता है तभी जीव को अपने अच्छे और बुरे दोनों कर्मों का फल मिलता है। उनके अनुसार, कर्म का नियम ऐसा है कि उससे बिल्कुल बचा नहीं जा सकता। दुनिया में कभी-कभी अन्याय हो जाता है पर भगवान के दरबार में नहीं।

कर्मों की गांठ खुलेगी

प्रेमानंद महाराज के अनुसार, मनुष्य का शरीर बहुत ही दुर्लभ अवसर है। पाप करना आसान होता है पर उसका परिणाम बहुत कठिन होता है इसलिए वो हमेशा लोगों को अच्छे कर्म करने और सच का पालन करने के लिए और भगवान का नाम जपने की सलाह देता है।

दिन के कुछ मिनट भी यदि आप अपने आराध्य को देंगे तो मन शांत होगा और जीवन अपने लक्ष्य की ओर बढ़ने लगेगा। वो कहते हैं कि नाम जप आपके मन को निर्मल करेगा। कर्मों को पवित्र दिशा मिलेगी। उनके अनुसार, भगवान का स्मरण न सिर्फ व्यक्ति का आंतरिक शुद्धिकरण करेगा बल्कि इससे कर्मों की गांठ भी खुलेगी।

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