जम्मू-कश्मीर: 3 जुलाई से शुरु हुई अमरनाथ यात्रा को 19 दिन हो चुके हैं। 19 दिनों में करीबन 3. 21 लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं ने बाबा बर्फानी के दर्शन किए हैं। मंगलवार को 3,536 तीर्थयात्रियों का एक और जत्था जम्मू से घाटी के लिए रवाना हुआ है। अधिकारियों के अनुसार, यात्रा सुचारु और शांतिपूर्ण तरीके से चल रही है। पिछले 19 दिनों में 3.21 लाख से ज्यादा तीर्थयात्री पवित्र गुफा के दर्शन कर चुके हैं।
देशभर से हजारों श्रद्धालु रोज आधार शिविरों पर पहुंचते हैं जिससे वहां पर भारी भीड़ होती है। अधिकारियों ने बताया कि – 3536 यात्रियों का एक नया जत्था जम्मू के भगवती नगर यात्री निवास से दो सुरक्षा काफिलों के साथ घाटी के लिए रवाना हुआ है। 1,250 यात्रियों को लेकर 48 वाहनों का पहला काफिला सुबह 3:33 बजे बालटाल आधार शिविर के लिए रवाना हुआ है।
वहीं 2,2286 यात्रियों को लेकर 84 वाहनों का दूसरा काफिला सुबह 04:06 बजे पहलगाम आधार शिविर के लिए रवाना हुआ है। यात्रा पर जाने के लिए देश के अलग-अलग हिस्सों से हजारों तीर्थयात्री रोज दोनों आधार शिविरों में जाते हैं जिससे यात्रियों की भारी भीड़ रहती है। आपको बता दें कि अधिकारियों के द्वारा इस साल की अमरनाथ यात्रा के व्यापक बहु-स्तरीय सुरक्षा व्यवस्था की गई है क्योंकि यह यात्रा 22 अप्रैल के कायराना हमले के बाद हो रही है।
जिस हमले में पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों ने पहलगाम की बैसरन घाटी में आस्था के आधार पर 26 नागरिकों को अलग-थलग करके उनकी हत्या कर दी थी। सेना, बीएसएफ, सीआरपीएफ, एसएसबी और स्थानीय पुलिस की मौजूद संख्या बढ़ाने के लिए सीएपीएफ की 180 अतिरिक्त कंपनियां भी तैनात की गई है।
इस साल तीर्थयात्रियों की सुरक्षा के लिए सेना ने 8,000 से ज्यादा विशेष कमांडो भी तैनात किए हैं। यह यात्रा 3 जुलाई को शुरु हुई और 38 दिनों के बाद श्रावण पूर्णिमा पर 9 अगस्त को खत्म होगी। यात्रा कश्मीर हिमालय से समुद्र तल से 3888 मीटर ऊपर स्थित पवित्र गुफा मंदिर तक या ता पारंपरिक पहलगाम मार्ग से या छोटे बालटाल मार्ग के जरिए पहुंचते हैं। पहलगाम मार्ग का इस्तेमाल करने वाले लोग चंदनवाड़ी, शेषनाग और पंचतरणी से होकर गुफा मंदिर तक पहुंचते हैं और 46 किलोमीटर की पैदल दूरी तय करते हैं।
इस यात्रा में तीर्थयात्रियों को गुफा मंदिर तक पहुंचने के लिए 4 दिन लगते हैं। वहीं छोटे बालटाल मार्ग का इस्तेमाल करने वाले लोगों को गुपा मंदिर तक पहुंचने के लिए 14 किलोमीटर की पैदल यात्रा करनी पड़ती है और दर्शन करने के बाद उसी दिन आधार शिविर आना पड़ता है। सुरक्षा कारणों से इस साल यात्रियों के लिए हेलीकॉप्टर सेवा उपलब्ध नहीं है।