अमृतसर: सिख पंथ की आस्था का केंद्र श्री अकाल तख्त साहिब में आज पंज साहिबानों की एक अहम बैठक हुई। इस बैठक में तख्त श्री हरमिंदर साहिब जी पटना साहिब से जुड़े पंथिक मामलों में अतिरिक्त विचार करते हुए कई अहम फैसले लिए गए। पटना साहिब प्रबंधक समिति के द्वारा 12 जुलाई 2025 को भेजे गए अनुरोध पर विचार करते हुए अकाल तख्त ने पंथिक एकता और दोनों तख्तों के मान-सम्मान को ध्यान में रखते हुए 21 मई 2025 के लिए निरर्थक फैसलों पर दोबारा विचार किया है। इसके तख्त श्री हरमिंदर साहिब जी पटना साहिब में सिंह साहिब भाई बलदेव सिंह और भाई गुरदयाल सिंह की सेवाओं पर लगी रोक पूरी तरह से हटा दी गई है। इसके साथ ही ज्ञानी रणजीत सिंह गौहर को पटना साहिब कमेटी के खिलाफ उनके द्वारा दायर अदालती मामला वापिस लेने का आदेश दिया गया है।
संगत की आस्था को पहुुंची ठेस
अकाल तख्त ने संकेत दिया है कि जत्थेदारों के द्वारा अदालत का दरवाजा खटखटाने से संगत की आस्था को गहरी ठेस पहुंची है। तख्त श्री हरमिंदर जी पटना साहिब प्रबंधक कमेटी को ज्ञानी रणजीत सिंह से मिलकर उनकी पिछली सेवाओं का बकाया सेवा कोष नियमानुसान अदा करने का भी आदेश दिया गया है। इस पूरे मामले में श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ने दोनों पक्षों को सोशल मीडिया या सार्वजनिक मंचों पर कोई भी बयानबाजी न करने के आदेश दिए हैं।
पटना साहिब कमेटी के द्वारा जो पत्र भेजा गया है उसमें यह साफ कहा गया है कि वे सिख पंथ के सर्वोच्च सिंहासन श्री अकाल तख्त साहिब का पूरा सम्मान करते हैं और अपने खालसा पंथ की एकता के लिए हमेशा ही प्रतिबद्ध रहेंगे। इस मामले में दोनों पक्षों ने संयुक्त रुप से यह कह दिया है कि सिख के तौर पर गुरु की सबसे बड़ी जिम्मेदारी गुरमत और पंथ की प्रगति सुनिश्चित करना है। यह समागम खालसा पंथ में एकता और आपसी प्रेम का संदेश भी देता है जो संघर्षों की बजाय ईमानदारी को बढ़ावा देता है।