नई दिल्ली: हाई कोर्ट ने आज फैसला सुनाते हुए कहा कि दिल्ली यूनिवर्सिटी पीएम मोदी की ग्रेजुएशन डिग्री का ब्यारो पब्लिक करने केे लिए बाध्य नहीं है। अदालत ने केंद्रीय सूचना आयुक्त के डिग्री जारी करने का आदेश भी खारिज कर दिया है। साल 2016 में केंद्रीय सूचना आयोग (CIC) ने बीए की परीक्षा पास करने वाले सभी छात्रों के रिकॉर्ड की जांच अनुमति दी थी। कहा जाता है कि उसी समय पीएम मोदी ने भी यह एग्जाम पास किया था।
ਪੰਜਾਬੀ ਵਿੱਚ ਪੜ੍ਹੋ :-
ਦਿੱਲੀ ਹਾਈ ਕੋਰਟ ਵੱਲੋਂ ਪ੍ਰਧਾਨ ਮੰਤਰੀ ਮੋਦੀ ਦੀ ਡਿਗਰੀ ਸੰਬੰਧੀ ਜਾਣਕਾਰੀ ਜਾਰੀ ਕਰਨ ਦੇ ਹੁਕਮ ਰੱਦ!
दिल्ली यूनिवर्सिटी ने सीआईसी के इस आदेश को चुनौती भी दी थी। इस चुनौती पर जनवरी 2017 में पहली सुनवाई वाले दिन ही रोक लगा दी थी। सुनवाई के दौरान यूनिवर्सिटी की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने तर्क दिया है कि सीआईसी के आदेश के रद्द कर देना चाहिए क्योंकि निजता का अधिकार, जानने के अधिकार से ज्यादा जरुरी है।
यूनिवर्सिटी ने अदालत को यह बताया है कि वह पीएम मोदी की डिग्री रिकॉर्ड कोर्ट के सामने प्रस्तुत करने के लिए तैयार हैं परंतु आरटीआई अधिनियम के अंतर्गत अजनबियों के द्वारा जांच के लिए उन्हें पब्लिक नहीं करना चाहिए।
दिल्ली यूनिवर्सिटी ने यह तर्क दिया है कि वह छात्रों की जानकारी को एक नैतिक दायित्व के अनुसार, सुरक्षित रखता है और जनहित के अभाव में सिर्फ जिज्ञासा के आधार पर आरटीआई कानून के अंतर्गत निजी जानकारी मांगने का कोई तर्क नहीं बनता। यूनिवर्सिटी ने यह तर्क दिया है कि धारा 6 में यह जरुरी प्रावधान है कि जानकारी देनी पड़ेगी यही मकसद है परंतु आरटीआई अधिनियम किसी भी जिज्ञासा को शांत करने के लिए नहीं है हालांकि यूनिवर्सिटी की ओर से अदालत को यह बताया है कि वह पीएम मोदी की डिग्री अदालत में पेश करने के लिए तैयार है परंतु आरटीआई अधिनियम के अंतर्गत अजनबियों के द्वारा जांच के लिए उन्हें पब्लिक नहीं कर सकता।