चंडीगढ़: पंजाब के पानी की समस्याओं को हल करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, वित्त मंत्री एडवोकेट हरपाल सिंह चीमा ने आज यहां जल संसाधनों और सीपेज के पैटर्नों के बारे में 1.61 करोड़ रुपये के सूक्ष्म-स्तरीय अध्ययन के लिए सैद्धांतिक मंजूरी की घोषणा की। यह अध्ययन, जो पंजाब राज्य किसान एवं खेत मजदूर कमीशन (पी.एस.एफ.एफ.डब्ल्यू.सी) द्वारा आई.आई.टी रोपड़ के सहयोग से किया जाएगा, प्रदेश के भूगर्भ जल स्तरों के प्रबंधन के लिए प्रभावी समाधान विकसित करने में सहायता करेगा।
इस पहल के महत्व को रेखांकित करते हुए, वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि एक कृषि प्रधान राज्य होने के नाते, पंजाब को पानी की उपलब्धता और इसके टिकाऊ उपयोग से संबंधित गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि यह प्रोजेक्ट प्रदेश के कृषि युग के पुनर्जीवन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा। उन्होंने कहा कि पी.एस.एफ.एफ.डब्ल्यू.सी द्वारा नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हाइड्रोलॉजी (एन.आई.एच), रुड़की के सहयोग से किए गए प्रारंभिक मैक्रो-स्तरीय अध्ययन को कृषि सुधारों पर पंजाब विधान सभा कमेटी द्वारा औपचारिक रूप से स्वीकार करने के बाद एक और अधिक विस्तृत सूक्ष्म-स्तरीय अध्ययन का निर्णय लिया गया।
इस अध्ययन की वैज्ञानिक गहराई के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए, वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि सूक्ष्म-स्तरीय अध्ययन में कार्बन डेटिंग और भूगर्भ तथा पानी के भंडारों के आइसोटोप विश्लेषण के साथ-साथ प्रदेश भर में सीपेज के नमूनों की व्यापक जांच सहित उन्नत तकनीकों का उपयोग किया जाएगा। इस अध्ययन के उद्देश्यों में कई महत्वपूर्ण पहलू शामिल हैं, जिनमें हर प्रकार के उपलब्ध जल संसाधनों का ब्यौरा, नीतिगत निर्णयों के लिए एक्विफरों की विशेषता बताना, हेलीकॉप्टर के माध्यम से आधुनिक तकनीकों का उपयोग कर जल संसाधनों का सर्वेक्षण, वैकल्पिक जल संसाधनों की खोज करना, और सीपेज दरों को निर्धारित करने के लिए सूक्ष्म-स्तरीय अध्ययन करना शामिल है।
अध्ययन के लिए मंजूर वित्तीय आवंटन के बारे में विवरण प्रदान करते हुए वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि इस प्रोजेक्ट को कुल 221.65 लाख रुपये के खर्च से फंड किया जाएगा। इस राशि में से, आई.आई.टी रोपड़ अपने संसाधनों से 60.00 लाख रुपये का योगदान देगा, जबकि पंजाब सरकार द्वारा पंजाब राज्य किसान एवं खेत मजदूर कमीशन को 161.00 लाख रुपये का फंड उपलब्ध कराया जाएगा। फंडिंग के बदले आई.आई.टी. रोपड़ व्यापक तकनीकी सहायता प्रदान करेगा, जिसमें डिजाइन और कार्यान्वयन विशेषज्ञता, फील्ड जांच, नमूने एकत्र करना, पोर्टेबल उपकरण लगाना, बुनियादी ढांचा और प्रयोगशाला सुविधाएं, तथा तकनीकी प्रशिक्षण और क्षमता-निर्माण पहल शामिल हैं।
इस अध्ययन में पांच विस्तृत चरण शामिल हैं, जो आवश्यक फंड प्राप्त होने के 12 महीनों के अंदर पूरा होने के लिए निर्धारित किए गए हैं। पहले चरण में सैंपलिंग साइटों का पता लगाने के लिए एक फील्ड सर्वेक्षण किया जाएगा, दूसरे चरण के दौरान प्रदेश के एक्विफर सिस्टमों का एक हाइड्रोजियोलॉजिकल फ्रेमवर्क विकसित किया जाएगा, तीसरे चरण में प्रदूषण स्तरों का मूल्यांकन करने और स्रोत क्षेत्रों की पहचान करने के लिए हाइड्रो-केमिकल विशेषता और आइसोटोपिक विश्लेषण शामिल होगा, चौथे चरण में नहरी नेटवर्क के विस्तार के लिए क्षेत्रों की पहचान की जाएगी, और पांचवें चरण में प्रबंधन उपायों के लिए सिफारिशें प्रदान की जाएंगी।
वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि आई.आई.टी. रोपड़ के साथ सहयोग प्रदेश सरकार की विज्ञान-आधारित नीति-निर्माण के प्रति प्रतिबद्धता का प्रमाण है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान के नेतृत्व में पंजाब सरकार प्रदेश के किसानों को लाभ पहुंचाने के लिए टिकाऊ और स्थायी समाधान खोजने पर ध्यान केंद्रित कर रही है।