ऊना/सुशील पंडित: प्रदेश सरकार द्वारा हिमाचल प्रदेश में कुछ एक जिलों के स्टोन क्रशर पूरी तरह बंद करने के आदेश के करीब डेढ़ महीने बाद क्रशर उद्योग संघ सामने आया है और सरकार से इस मामले को रिव्यू करने की मांग उठाई है। बुधवार को संघ के प्रदेश अध्यक्ष राजेंद्र सिंह डिंपल ने ऊना में पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि सरकार के इस फैसले के काफी प्रतिकूल प्रभाव देखने को मिल रहे हैं। एक तरफ जहां सभी क्रेशर बंद होने के चलते तमाम विकास और निर्माण कार्य ठप्प होकर रह गए हैं। वहीं दूसरी तरफ इन उद्योगों से जुडक़र अपनी रोजी-रोटी चलाने वाले करीब 70000 लोग बेरोजगारी के मुहाने पर आ गए हैं। उन्होंने ऐलान किया कि यदि सरकार ने इस मामले में विनम्रता पूर्ण विचार मंथन करते हुए उद्योगों को खोलने की हरी झंडी नहीं दी, तो पूरे प्रदेश के स्टोन क्रशर बंद कर दिए जाएंगे।
संघ के प्रदेश अध्यक्ष राजेंद्र सिंह डिंपल ने कहा कि हिमाचल प्रदेश ही एकमात्र ऐसा राज्य है जहां पर खनन का काम नियमों के मुताबिक किया जाता है। लेकिन इसके बावजूद प्रदेश के कुछ जिलों में क्रशर उद्योग को पूरी तरह बंद कर देने के आदेश समझ से परे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार के इस फैसले के चलते जहां एक तरफ प्रदेश भर में निजी और सरकारी निर्माण कार्य बंद होकर रह गए हैं, वहीं इसका असर हिमाचल प्रदेश में हाल ही में हुई आपदा के बाद पुनर्वास कार्यों पर भी पड़ रहा है। राजेंद्र सिंह ने कहा कि सरकार को सहानुभूति पूर्वक विचार करते हुए स्टोन क्रशर उद्योगों को बंद करने के फैसले को रिव्यू करना चाहिए। उन्होंने कहा कि पिछले करीब डेढ़ महीने से हिमाचल प्रदेश के कुछ एक जिलों में सरकार के आदेशों के बाद यह क्रशर पूरी तरह बंद हो चुके हैं, जिसका सीधा असर प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से इस उद्योग से रोजी-रोटी कमाने वाले लोगों पर पड़ा है। उन्होंने कहा कि यदि अब भी सरकार रिव्यू करने के बाद बंद किए गए उद्योगों को खोलने के निर्देश जारी नहीं करती है, तो संगठन प्रदेश भर में एक जुटता से इस फैसले के विरोध में उद्योगों को बंद करते हुए विभागीय अधिकारियों को चाबी सौंप देगा। इस अवसर पर तेजपाल सिंह, आदित्य शर्मा, गणेश कुमार, संदीप ठाकुर, रोहित मेहता, रमन पाठक, नरेश कुमार, अरूण ठाकुर, रूबी जसवाल, साहिल शर्मा सहित अन्य उपस्थित रहे।