विपरीत समय में ऐसा बजट सुक्खू सरकार की बड़ी उपलब्धि- विजय डोगरा

विपरीत समय में ऐसा बजट सुक्खू सरकार की बड़ी उपलब्धि- विजय डोगरा विपरीत समय में ऐसा बजट सुक्खू सरकार की बड़ी उपलब्धि- विजय डोगरा

ऊना/सुशील पंडित:विकट परिस्थितियों और विपरीत समय में ऐसा बजट पेश करना सुक्खू सरकार की एक बड़ी उपलब्धि है। हर वर्ग इस बजट से उत्साहित है। हिमाचल के इतिहास में यह पहला बजट बन गया है जिसकी चर्चा गांव गांव घर घर में हो रही है। जिस दिन यह बजट पारित हुआ उस दिन चाय की दुकानों से लेकर स्कूल, पंचायत घर, अस्पताल और आंगनबाड़ियों में भी लोग सुक्खू सरकार को आशीष दे रहे थे कि किसी ने तो उनकी सुनी।

कांग्रेस प्रवक्ता विजय डोगरा ने सोमवार को एक प्रेस वार्ता में बताया कि मेरे राजनीतिक करियर में ऐसा सधा हुआ बजट पहले कभी नहीं आया। प्रदेश को झकझोर देने वाली आपदा के बाद जब सुक्खू सरकार ने बजट पेश किया तो उसने पंचायतों के पंचों, आशा वर्करों, वन और जल रक्षकों से लेकर विधवा माताओं के दिलों को छू लिया।

उन्होंने न सिर्फ जनता के सेवकों का मान बढ़ाया है बल्कि आत्मनिर्भर हिमाचल की नींव भी रख दी है। भाजपा के जो नेता आज बजट को निराशाजनक बताने में लगे हैं वही कभी कहते थे कि पुरानी पेंशन स्कीम लागू नहीं हो सकती। मगर सुखविंदर सुक्खू ने सत्ता में आते ही पुरानी पेंशन स्कीम को लागू कर दिया।

जैसे ही सुक्खू सरकार ने ऐलान किया कि लाहौल स्पिति की महिलाओं को प्रति माह 1500 रूपए दिए जाने लगे हैं भाजपा के नेताओं के होश उड़ गए। वे सोचते थे कि यह एक असंभव स्कीम है। लेकिन एक जिले से शुरू हुई यह योजना जल्द सभी जिलों की महिलाओं तक पहुंचने लगेगी। विधवाओं के बच्चों के लिए कभी पिछली सरकारों ने नहीं सोचा लेकिन इस बजट ने स्पष्ट कर दिया है कि जिसके सिर पर पिता का साया नहीं है वे बच्चे भी आईआईटी से लेकर एम्स तक की पढ़ाई फ्री में कर पाएंगे।

यदि हम बजट के मुख्यबिंदु भी उठाकर पढ़ लें तो आप पाएंगे कि हर वर्ग, हर विभाग, हर संस्थान के हित की बात हुई है। सबसे खास बात यह है कि मुख्यमंत्री ने बहुत सादगी से यह मानते हुए अपना भाषण पढ़ा था कि हमें आर्थिक रूप से कमजोर राज्य मिला है। पूरे बजट की आत्मा उस एक लक्ष्य पर आकर सिमटती है जहां वे कहते हैं कि हम हिमाचल प्रदेश को आत्मनिर्भर बनाएंगे, क्योंकि केंद्र सरकार पर निर्भरता ने हिमाचल को कमजोर कर दिया है।

भाजपा के नेताओं का पूरा जोर रहता है कि केंद्र से मिलने वाले पैसे में अड़ंगा लगाया जाए। यदि हिमाचल आत्मनिर्भर हो जाता है तो हमें किसी भी विकट परिस्थिति में केंद्र या बाहरी एजेंसी से मदद की आवश्यक्ता नहीं पड़ेगी। सुखविंदर सुक्खू की आत्मनिर्भर प्रदेश की सोच हिमाचल के इतिहास में मील का पत्थर साबित होगी।

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