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हिमाचल में जल शक्ति विभाग और ग्रामीण विकास विभाग के बीच एमओयू, फीकल स्लज उपचार को मिलेगी नई दिशा

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शिमला: हिमाचल प्रदेश में स्वच्छता एवं पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल के तहत आज जल शक्ति विभाग और ग्रामीण विकास विभाग, हिमाचल प्रदेश के बीच फीकल स्लज के उपचार के लिए एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए। यह समझौता राज्य में अपशिष्ट जल प्रबंधन को सुदृढ़ करने तथा जल स्रोतों के प्रदूषण को रोकने की दिशा में एक अहम कदम है। स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण), हिमाचल प्रदेश के अंतर्गत राज्य सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में फीकल स्लज प्रबंधन की चुनौतियों से निपटने के लिए निरंतर प्रयासरत है। प्रदेश के अधिकांश ग्रामीण घरों में सिंगल पिट शौचालय बनाए गए हैं, जिनके भर जाने से पर्यावरण के लिए खतरा उत्पन्न हो सकता है। इसके अतिरिक्त, हिमाचल प्रदेश एक प्रमुख पर्यटन राज्य होने के कारण यहां पर्यटकों, श्रमिकों तथा अन्य अस्थायी जनसंख्या के कारण शौचालय पिट में ओवर फ्लो हो जाता है और इन्हें खुले क्षेत्र में खाली किया जाता है। इससे नदियांे, नालों और तालाबों का जल प्रदूषित होता है जिससे पर्यावरण और स्वास्थ्य संबंधी खतरे उत्पन्न होते हैं।

इस समस्या के समाधान के लिए ग्रामीण विकास विभाग ने वॉश इंस्टीट्यूट के सहयोग से राज्य भर में सर्वेक्षण, अभियंताओं का प्रशिक्षण तथा फीकल स्लज के सुरक्षित निपटान के लिए योजनाएं तैयार की हैं। इस प्रक्रिया में जल शक्ति विभाग की सक्रिय भागीदारी रही है। विभाग द्वारा राज्य के 22 मौजूदा सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट्स की पहचान की गई है, जहां फीकल स्लज के उपचार के लिए आवश्यक संरचना विकसित की जा रही है। पायलट परियोजना के अंतर्गत कांगड़ा जिले के पालमपुर और मंडी जिले के सुंदरनगर स्थित दो सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट्स को क्रियाशील किया गया है। इन संयंत्रों के माध्यम से आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों से प्राप्त फीकल स्लज का वैज्ञानिक एवं सुरक्षित निपटान किया जा रहा है।

आने वाले वर्षों में जल शक्ति विभाग के सभी उपयुक्त सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट्स को क्रियाशील करने की योजना है, जिससे अधिकांश ग्रामीण हिमाचल में फीकल स्लज का सुरक्षित निपटान सुनिश्चित किया जा सकेगा। यह पहल पर्यावरण संरक्षण तथा जनस्वास्थ्य की दृष्टि से एक मील का पत्थर साबित होगी। यह साझेदारी स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के अंतर्गत स्वच्छ, हरित और स्वस्थ हिमाचल की दिशा में एक और ठोस कदम है। यह समझौता ज्ञापन सचिव ग्रामीण विकास की उपस्थिति में निदेशक ग्रामीण विकास तथा मुख्य अभियंता जल शक्ति विभाग द्वारा हस्ताक्षरित किया गया। इस अवसर पर वॉश इंस्टीट्यूट एवं शिमला जल प्रबन्धन निगम लिमिटेड के प्रतिनिधि भी उपस्थित थे।

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