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प्राकृतिक खेती को नया आयाम देगी ‘हिम उन्नति योजना’, 50 हज़ार किसान होंगे लाभान्वित

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ऊना/सुशील पंडित: हिमाचल प्रदेश में प्राकृतिक खेती को सशक्तकरने और किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए राज्य सरकार ने ‘हिम उन्नति योजना’की शुरुआत की है। इस महत्वाकांक्षी योजना के तहत 150 करोड़ रुपये का बजट निर्धारितकिया गया है और इसे चरणबद्ध ढंग से लागू किया जा रहा है। योजना का उद्देश्यकृषि में समेकित विकास, पर्यावरण संरक्षण, ग्रामीण अर्थव्यवस्था की मजबूतीऔर युवाओं के लिए कृषि-आधारित स्वरोज़गार के नए अवसर सृजित करनाहै।कृषि विभाग के अनुसार, योजना के तहत प्रदेश में 40बीघा या उससे अधिक कृषि भूमि वाले 1239 क्लस्टर्स की पहचान की गई है। इनमें प्रदेशके 50 हज़ार किसानों को शामिल करते हुए 2600 किसान समूहों के गठन का लक्ष्य रखागया है।

ऊना जिले में नए क्लस्टर्स बनाने पर फोकस

कृषि विभाग ऊना के उप निदेशक कुलभूषण धीमान बताते हैं कि जिले में योजना के तहत  कृषि क्लस्टर्स का गठन किया जा रहाहै। वर्ष 2025-26 के लिए 33.50 लाख रुपये का प्रावधान रखा गया है। वर्ष 2023-24 में 100 किसान समूहों का गठन किया गया था। 2024-25 में 10 नए क्लस्टर्स की कार्य योजना उच्च अधिकारियों को भेज दी गई है। इन प्रयासों से किसानों को तकनीकी प्रशिक्षण, विपणन सहयोग और आधुनिक संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित की जाएगी।

क्लस्टर आधारित विकास से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती

क्लस्टर आधारित मॉडल से रसायन-मुक्त खेती कोबढ़ावा मिलेगा। साथ ही, कृषि-आधारित स्टार्टअप्स के माध्यम से युवाओंको रोज़गार के नए अवसर मिलेंगे। किसानों के सीधे बाज़ार से जुड़ाव से उनकीआमदनी में स्थायी बढ़ोतरी होगी।

मुख्यमंत्री का विज़न : किसान की तरक्की में प्रदेश की तरक्की

मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू की यह सोच रही हैकि प्रदेश की असली तरक्की तभी संभव है, जब किसान समृद्ध और सशक्त हों। यही कारणहै कि उनकी नीतियों में किसानों की आय बढ़ाना और खेती को लाभकारी बनानासबसे बड़ी प्राथमिकता के रूप में उभरता है।मुख्यमंत्री का विज़न है कि हिम उन्नति योजना न केवलकिसानों को आर्थिक मजबूती दे, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में नए रोज़गार अवसरों काभी मार्ग प्रशस्त करे, ताकि खेती और ग्रामीण अर्थव्यवस्था दोनों का कायाकल्प होसके। आज हिमाचल प्रदेश देश का अकेला राज्य है, जहां प्राकृतिक गेहूं और मक्की का न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारितकिया गया है। सरकार प्राकृतिक गेहूं 60 रुपये प्रति किलो और मक्की 40 रुपये प्रति किलोके भाव पर खरीद रही है। यह किसानों को उनकी मेहनत का उचित मूल्य दिलाने औरउन्हें जैविक व प्राकृतिक खेती की ओर प्रेरित करने की दूरदर्शी पहल है।

प्रशासन के प्रयास

उपायुक्त ऊना जतिन लाल का कहना है कि जिला प्रशासन यहसुनिश्चित करेगा कि राज्य सरकार की योजना का लाभ सभी पात्र किसानों तक पहुंचे, जिससे वे आत्मनिर्भर बनें और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने में सहयोगी हों।

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