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7 दिन भागवत कथा के सुहाने रंग में डूबी रही हिल व्यू आवासीय सोसाईटी

आचार्य जगमोहन दत्त शास्त्री ने लोगों सार्थक जीवन जीने के उपाय बताए
गौ सेवा, परिवार प्रबोधन, सामाजिक विकास व सनातन के महत्व बताए
बददी/ सचिन बैेसल : बददी के निकट हिल व्यू आवासीय कालोनी झाडमाजरी में 7 दिन से चली आ रही भागवत कथा का शनिवार को विधिवत समापन हो गया। उत्तर भारत के प्रसिद्व कथा वाचक आचार्य जगमोहन दत्त शास्त्री ने सातों के सात दिन श्रद्वालुओं को भक्ति रस में डूबा दिया। उन्होने श्रद्वालुजनों को भागवत कथा के साथ कृष्ण जन्म की बातें तो बताई ही साथ में लोगों को बताया कि सार्थक जीवन किस प्रकार जीना चाहिए। उन्होने कहा कि आज कल हर घर में छोटी छोटी बातों को लेकर कलह पड़ा हुआ है। कोई एक दूसरे का चेहरा तक देखने को तैयार नहीं है और एक घर में कई घर बन गए हैं। उन्होने कहा कि जो मजा व संस्कार संयुक्त परिवार में रहने का वो कहीं नहीं है। बच्चों की शिक्षा दीक्षा जब संयुक्त परिवार में होती है तो ही वो दुनियादारी व समाज को समझता है। घर का प्रत्येक व्यक्ति उसको अपने जीवन का अनुभव देता है और उसको सही राह पर चलने के बारे में बताता है तो वह अच्छा नागरिक बनता है।
सीमित मनुष्य जीवन में धर्म अर्थ काम और मोक्ष इन चारों पुरुषार्थों की प्राप्ति सफल और सार्थक जीवन है। जगमोहन ने कहा कि विवेक से, निरंतर पुरुषार्थ से, निरंतर प्रयासों से भौतिक जीवन में सफलता हासिल की जा सकती है। अज्ञान अंधकार से ज्ञान प्रकाश की ओर जाने में, अपनी भौतिक जरुरतों के साथ साथ मनुष्य जीवन के मूल उद्देश्यों कि, आत्मज्ञान की प्राप्ति करने में मनुष्य जीवन की सार्थकता है। भौतिकता में सबकुछ पा लिया, लेकिन अपने मैं कौन हूं नहीं जाना तो सब पाकर भी निरर्थक है। भौतिक जरुरतें तो सबकी होती ही है। लेकिन मनुष्य जीवन की सार्थकता तब है, जब उसने भौतिक जीवन के खुशियों के साथ साथ खुशियों के उस स्रोत को भी खोज सीमित मनुष्य जीवन में धर्म अर्थ काम और मोक्ष इन चारों पुरुषार्थों की प्राप्ति सफल और सार्थक जीवन है।
उन्होने कहा कि मैंने ऐसे एक व्यक्ति को देखा है, जिसके भीतर एक ज्ञानी है और बाहर से वह एक सफल बिजनेसमैन। तो मनुष्य जीवन की सार्थकता दोनों चीजों के उपलब्धियों में है। हिल व्यू में सात के सात दिनों 6 बजे से 9 बजे तक रात्रि प्रवचन होते थे क्योंकि शाम को सब लोग उद्योग धंधों व नौकरियों से निवृत होकर आराम से प्रवचन सुन सकते थे। मातृ शक्ति का सातों दिन जन सैलाब उमडता था वहीं शाम को हिल व्यू के कार्यकर्ता रोजाना रात को 9 बजे से 11 बजे अटूट लंगर भी चलाते थे।

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