नई दिल्ली: राजधानी अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड (डीएसजीएमसी) ने दिल्ली हाई कोर्ट को सूचित किया कि उसने सिख उम्मीदवारों को धातु के कड़े या कृपाण के साथ परीक्षा में बैठने की अनुमति देने का फैसला किया है। लेकिन उन्हें रिपोर्टिंग समय से कम से कम एक घंटा पहले परीक्षा केंद्र पहुंचना होगा। डीएसएसएसबी के वकील की दलीलों को ध्यान में रखते हुए मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने कहा कि दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधन समिति (डीएसजीएमसी) द्वारा दायर याचिका का निस्तारण करने के लिए कोई और आदेश पारित करने की आवश्यकता नहीं है। पीठ ने कहा कि बोर्ड ने संशोधित दिशानिर्देश जारी किए हैं जिससे यह स्पष्ट होता है कि उसने कड़ा और/या कृपाण पहनने वाले सिख उम्मीदवारों को परीक्षा में बैठने की अनुमति देने का निर्णय किया है।
हालांकि, ऐसे लोग रिपोर्टिंग समय से कम से कम एक घंटा पहले परीक्षा केंद्र पर रिपोर्ट करेंगे अन्यथा उन्हें परीक्षा में बैठने की अनुमति नहीं दी जाएगी। अदालत ने कहा, ‘यह (दिशानिर्देशों से) स्पष्ट है कि अगर जांच के दौरान कोई उम्मीदवार कड़ा या कृपाण में कोई संदिग्ध वस्तु ले जाते हुए पाया जाता है, तो उसे परीक्षा में बैठने की अनुमति नहीं दी जाएगी।’ इससे पहले, जुलाई में उच्च न्यायालय के एकल न्यायाधीश ने एक सिख महिला उम्मीदवार को एक प्रतियोगी परीक्षा में बैठने से इनकार किए जाने को अनुचित करार दिया था। महिला उम्मीदवार को प्रवेश पत्र पर दिए गए दिशानिर्देश के मुताबिक परीक्षा केंद्र बंद होने के समय से पहले वहां पहुंचने के बावजूद परीक्षा में तब तक प्रवेश की अनुमति नहीं दी गई जब तक उसने अपना धातु का कड़ा नहीं उतारा।
याचिकाकर्ता महिला ने पीजीटी-अर्थशास्त्र (महिला) परीक्षा में शामिल होने की अनुमति से इनकार करने को चुनौती दी थी। उसने दलील दी थी कि अधिकारियों द्वारा कार्रवाई को इस आधार पर जारी नहीं रखा जा सकता है कि पहले से ही एक अधिसूचना जारी की गई थी जिसमें कड़ा/कृपाण पहनने के इच्छुक उम्मीदवारों को सूचित किया गया था उन्हें रिपोर्टिंग समय से कम से कम एक घंटा पहले परीक्षा केंद्र पर पहुंचना होगा, क्योंकि अधिसूचना परीक्षा आयोजित होने के दो दिन बाद जारी की गई थी। न्यायाधीश ने कहा कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि डीएसएसएसबी जैसी एक विशेष संस्था, जो नियमित रूप से बड़ी संख्या में सिख उम्मीदवारों के साथ परीक्षा आयोजित करती है, ने उम्मीदवारों को दो सिख धार्मिक प्रतीकों से संबंधित शर्तों के बारे में सूचित करने के लिए समय पर कार्रवाई नहीं की।
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