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श्रीमद्भागवत कथा के श्रवण से ही मिल जाती है पापों से मुक्ति

श्रीमद्भागवत कथा के श्रवण से ही मिल जाती है पापों से मुक्ति श्रीमद्भागवत कथा के श्रवण से ही मिल जाती है पापों से मुक्ति
ऊना /सुशील पंडित : बाबा बाल जी आश्रम कोटला कलां श्री राधा कृष्ण मंदिर ऊना में 1 तारीख से शुरू हुआ धार्मिक विराट महासम्मेलन में आज दूसरे दिन की श्रीमद् भागवत कथा में राष्ट्रीय संत बाबा बाल जी महाराज ने श्रीमद्भागवत व कथा व्यास का पूजन कर इस श्रीमद् भागवत ज्ञान यज्ञ का शुभारंभ किया। 7 फरवरी से 13 फरवरी तक चलने वाले इस श्रीमद् भागवत ज्ञान यज्ञ को श्री वृंदावन से पधारे ठाकुर कृष्ण चंद्र शास्त्री ने कथा को आगे बढ़ाते हुए कहा कि कलियुग में श्रीमद् भागवत महापुराण श्रवण कल्पवृक्ष से भी बढ़कर है। क्योंकि कल्पवृक्ष मात्र तीन वस्तुएं अर्थ, धर्म और काम ही दे सकता है। मुक्ति और भक्ति नही दे सकता है। लेकिन श्रीमद् भागवत तो दिव्य कल्पतरु है यह अर्थ, धर्म, काम के साथ साथ भक्ति और मुक्ति प्रदान करके जीव को परम पद प्राप्त कराता है।
उन्होंने कहा कि श्रीमद् भागवत केवल पुस्तक नही साक्षात श्रीकृष्ण स्वरुप है। इसके एक एक अक्षर में श्रीकृष्ण समाये हुए है। उन्होंने कहा कि कथा सुनना समस्त दान, व्रत, तीर्थ, पुण्यादि कर्मो से बढ़कर है। श्रीमद् भागवत कथा सुनने से धुन्धकारी जैसे महापापी व प्रेतआत्मा का उद्धार हो जाता है। उन्होंने कहा कि भागवत के चार अक्षर इसका तात्पर्य यह है कि भा से भक्ति, ग से ज्ञान, व से वैराग्य और त त्याग जो हमारे जीवन में प्रदान करे उसे हम भागवत कहते है। इसके साथ साथ भागवत के छह प्रश्न, निष्काम भक्ति, 24 अवतार श्री नारद जी का पूर्व जन्म, परीक्षित जन्म, कुन्ती सुख के अवसर में भी विपत्ति की याचना करती है। क्यों कि दुख में ही तो गोविन्द का दर्शन होता है। जीवन की अन्तिम बेला में दादा भीष्म गोपाल का दर्शन करते हुए अद्भुत देह त्याग का वर्णन किया। साथ साथ परीक्षित को श्राप कैसे लगा तथा भगवान श्री शुकदेव उन्हे मुक्ति प्रदान करने के लिए कैसे प्रगट हुए इत्यादि कथाओं का भावपूर्ण वर्णन किया।
कथा व्यास ठाकुर कृष्ण चंद्र शास्त्री ने कहा कि भागवत कथा श्रवण मात्र से पाप से मुक्ति मिलती। उन्होंने बताया कि जिस स्थान पर कथा होती है वहां भगवान विराजमान होते हैं। इस जगत में भगवत कृपा के बिना कुछ भी संभव नहीं है। मनुष्य को समाज में अच्छे काम करने चाहिए। भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है की कर्म ही प्रधान है, बिना कर्म कुछ संभव नहीं होता है, जो मनुष्य सत्कर्म करता है उसे अच्छा फल मिलता है व बुरे कर्म करने वाले को हमेशा बुरा फल मिलता है।
इसलिए सभी को अच्छे कर्मो के प्रति आकृष्ट होना चाहिए। उन्होंने कहा कि एक मार्ग दमन का है तो दूसरा उदारीकरण का। दोनों ही मार्गो में अधोगामी वृत्तियां निषेध हैं। जैसे कि गोकर्ण ने कथा कही, किन्तु उसके दुराचारी भाई धुंधकारी ने मनोयोग से उसे सुना तो मोक्ष प्राप्त हो गया। भागवत कथा एक ऐसा अमृत है कि इसका जितना भी पान किया जाए आत्मा तृप्ति नहीं होती है। भागवत कथा सुनते ही ज्ञान और वैराग्य जाग जाते हैं।
कथा व्यास ठाकुर कृष्ण चंद्र शास्त्री जी ने शिव पार्वती विवाह प्रसंग विस्तार पूर्वक वर्णन किया। उन्होंने कहा कि शिव से बड़ा कोई नही शिव की पूजा से हर कोई मन चाहा वर प्राप्त कर सकता हैं। जरूरत है सच्चे मन से भगवान शिव की आराधना की जाए। भगवान शिव मानव का कल्याण कर भव सागर से पार लगाते हैं। भागवत कथा में जीवन का सार तत्व मौजूद हैं, आवश्यकता निर्मल मन को स्थिर चित्त से यह कथा श्रवण की जाए। बाबा बाल जी आश्रम में हजारों की संख्या में श्रद्धालु श्रीमद् भागवत कथा का रसास्वादन कर रहे हैं। और बाबा बाल जी का आशीर्वाद प्राप्त कर रहे हैं।

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