1. पवनमुक्तासन (Pawanmuktasana):
यह आसन पेट की गैस, कब्ज और पाचन से जुड़ी समस्याओं के लिए बहुत लाभकारी है। इसे करने के लिए आपको पीठ के बल लेटना होता है और घुटनों को मोड़कर छाती से लगाना होता है। हाथों से घुटनों को पकड़कर सिर को उठाकर घुटनों से मिलाने की कोशिश करनी होती है। यह आसन विशेष रूप से गैस और अपच को दूर करता है और पेट की आंतों की मालिश भी करता है जिससे पाचन प्रक्रिया बेहतर होती है।
2. भुजंगासन (Bhujangasana):
भुजंगासन, जिसे “कोबरा पोज़” भी कहते हैं, पेट के बल लेटकर किया जाता है। इसमें हाथों की मदद से ऊपरी शरीर को ऊपर उठाया जाता है जिससे रीढ़ की हड्डी, पेट और छाती में खिंचाव आता है। यह आसन पाचन क्रिया को उत्तेजित करता है, लिवर और किडनी को सक्रिय करता है और तनाव कम करने में मदद करता है। यह पेट की चर्बी को कम करने और पाचन को बेहतर बनाने में भी सहायक होता है।
3. वज्रासन (Vajrasana):
वज्रासन एकमात्र ऐसा आसन है जिसे भोजन के बाद भी किया जा सकता है। इसमें घुटनों को मोड़कर एड़ियों पर बैठा जाता है और हाथों को घुटनों पर रखा जाता है। यह आसान दिखने वाला लेकिन प्रभावशाली आसन पाचन शक्ति को तेज करता है, गैस और एसिडिटी की समस्या को दूर करता है और शरीर को शांत करता है। यह ध्यान और प्राणायाम के लिए भी उत्तम आसन माना जाता है।
4. धनुरासन (Dhanurasana):
इस आसन में शरीर धनुष के आकार में आ जाता है, इसलिए इसे धनुरासन कहा जाता है। इसमें पेट के बल लेटकर घुटनों को मोड़कर टखनों को पकड़ा जाता है और शरीर को खींचकर ऊपर उठाया जाता है। यह आसन पेट की चर्बी को कम करने, पाचन तंत्र को मजबूत बनाने और आंतों की गतिविधि को बेहतर बनाने में मदद करता है। यह रीढ़ को लचीलापन भी देता है और ऊर्जा का संचार करता है।
5. अर्ध मत्स्येन्द्रासन (Ardha Matsyendrasana):
यह एक बैठकर किया जाने वाला मरोड़ वाला योग आसन है। इसमें एक पैर को मोड़कर दूसरे पैर के ऊपर रखकर शरीर को मोड़ा जाता है। यह मरोड़ पाचन अंगों जैसे लीवर, पैंक्रियास और आँतों को उत्तेजना देता है जिससे पेट की समस्याओं जैसे कब्ज, गैस और अपच में राहत मिलती है। यह रीढ़ की लचीलता को भी बढ़ाता है और शरीर को संतुलित करता है।