संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष केएम लाल और महासचिव जतिंदर कंवर ने केंद्र सरकार से किया पुनर्विचार का आग्रह
ऊना/सुशील पंडित: अखिल भारतीय हिमाचल सामाजिक संस्था संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष केएम लाल और राष्ट्रीय महासचिव जतिंदर कंवर ने केंद्र सरकार द्वारा 15 वर्ष पुराने वाहनों पर लगाए जा रहे प्रतिबंध पर गहरी चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि यह निर्णय यदि व्यावसायिक (कमर्शियल) वाहनों तक सीमित रखा जाए तो उचित हो सकता है, लेकिन निजी वाहनों को भी इसके दायरे में लाना सरासर अनुचित और आम जनता के साथ अन्याय है।उन्होंने कहा कि कमर्शियल वाहन दिन-रात चलते हैं और अधिक दूरी तय करते हैं, जिससे उनके प्रदूषण फैलाने की संभावना अधिक रहती है।
इसके विपरीत, निजी वाहन आमतौर पर केवल कुछ घंटों के लिए, सीमित दूरी तक ही उपयोग में लाए जाते हैं और अच्छी देखरेख के चलते अपेक्षाकृत कम प्रदूषण करते हैं। उन्होंने कहा कि सरकार का यह निर्णय आम आदमी की आर्थिक स्वतंत्रता पर कुठाराघात है। एक ऐसा व्यक्ति जिसने अपनी मेहनत की कमाई से वाहन खरीदा है, और जो उसे संभालकर, सीमित उपयोग के लिए चला रहा है, उसे किस अपराध की सजा दी जा रही है?उन्होंने यह भी कहा कि सरकार को अपने इस निर्णय पर पुनर्विचार करना चाहिए और यह देखना चाहिए कि इसका प्रभाव सबसे अधिक किस वर्ग पर पड़ रहा है। संघ ने यह भी सवाल उठाया कि क्या सरकार ने यह आंकड़े सार्वजनिक किए हैं कि कितने निजी वाहन वास्तव में प्रदूषण के जिम्मेदार हैं? यदि नहीं, तो केवल आयु के आधार पर वाहन प्रतिबंधित करना वैज्ञानिक और न्यायसंगत नहीं कहा जा सकता।
उन्होंने कहा कि सरकार को यह नीति बनाते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि भारत जैसे देश में हर वर्ग के लोग निजी वाहन का उपयोग अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए करते हैं। परिवहन के सार्वजनिक साधनों की सीमित उपलब्धता के चलते, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में, निजी वाहन ही लोगों का एकमात्र विकल्प होते हैं। संघ ने केंद्र सरकार से अपील की है कि वह इस संवेदनशील मुद्दे पर आम जनता की आवाज को सुने और तत्काल प्रभाव से 15 वर्ष पुराने निजी वाहनों पर लगाए गए प्रतिबंध को वापस ले। साथ ही नीति निर्माण में व्यावसायिक और निजी वाहनों में स्पष्ट अंतर करते हुए जनहित को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाए।