नई दिल्लीः संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने एक बार फिर से केंद्र सरकार के खिलाफ किसानों के आंदोलन की घोषणा की है। एसकेएम एमएसपी कानून की गारंटी, ऋण माफी, फसल बीमा, किसानों और खेतिहर मजदूरों की पेंशन, बिजली के निजीकरण को वापस लेने और अन्य मांगों को लेकर फिर से अपना आंदोलन शुरू करेगा। एसकेएम ने कृषि के लिए अलग बजट, केंद्र सरकार में सहकारिता विभाग को समाप्त करने, कृषि इनपुट पर जीएसटी नहीं लगाने की मांग की है। इसके अलावा राज्य सरकारों के अधिकार को सुनिश्चित करने के लिए जीएसटी अधिनियम में संशोधन की मांग की है। एसकेएम ने जो मांगें सरकार के सामने रखी हैं वो इस प्रकार हैं-
- एसकेएम ने 736 किसान शहीदों की याद में सिंघू/टिकरी सीमा पर शहीद स्मारक की मांग की।
- एसकेएम 16, 17, 18 जुलाई 2024 को प्रधानमंत्री, विपक्ष के नेता और संसद सदस्यों को ज्ञापन और मांगों का चार्टर सौंपेगा।
- एसकेएम 9 अगस्त को “कॉरपोरेट्स भारत छोड़ो दिवस” के रूप में मनाएगा। यह भी मांग की कि भारत विश्व व्यापार संगठन से बाहर आए और कृषि उत्पादन और व्यापार में कोई बहुराष्ट्रीय कंपनी शामिल न हो।
- एस.के.एम. संयुक्त संघर्ष के लिए केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के साथ समन्वय बैठक बुलाएगा।
संयुक्त किसान मोर्चा प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए किसान नेता हन्नान मोल्लाह ने कहा, ‘एसकेएम ने कहा कि एमएसपी मांगों पर कदम उठाने कि लिए कल जीबीएम बुलाई गई थी। 3 साल हो गए हैं, सरकार ने हमारी बात नहीं सुनी है, न ही हमें किसी बैठक के लिए बुलाया गया है। एमएसपी और कानूनी गारंटी अभी भी नहीं दी गई है। हम अभियान चलाने जा रहे हैं। पिछली बार दिल्ली घेराव था, लेकिन इस बार हम अखिल भारतीय आंदोलन करेंगे।’
एसकेएम ने 9 अगस्त को अखिल भारतीय आंदोलन का आह्वान किया। एसकेएम ने कहा -“बीजेपी को बेनकाब करो, विरोध करो और दंडित करो।” उनके अभियान ने उन सभी जगहों पर बड़ा प्रभाव डाला है, जहां किसान आंदोलन व्यापक और सक्रिय था।
हन्नान मुल्लाह ने कहा, “पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और महाराष्ट्र की 38 ग्रामीण सीटों पर बीजेपी की हार और यूपी के लखीमपुर खीरी में तत्कालीन केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी और झारखंड के खूंटी में अर्जुन मुंडा (कृषि मंत्री) की हार, किसानों के संघर्ष के प्रभाव को दर्शाती है। बीजेपी 159 ग्रामीण बहुल निर्वाचन क्षेत्रों में हारी है।”