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प्राकृतिक खेती को अपनाकर किसान अपनी आय में बढ़ौत्तरी कर सकते हैं: भुट्टो

प्राकृतिक खेती को अपनाकर किसान अपनी आय में बढ़ौत्तरी कर सकते हैं: भुट्टो प्राकृतिक खेती को अपनाकर किसान अपनी आय में बढ़ौत्तरी कर सकते हैं: भुट्टो
बंगाणा में प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के तहत एक दिवसीय प्रशिक्षण शिविर आयोजित
ऊना/सुशील पंडित:  उपमंडल बंगाणा में प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के तहत  किसानों/बागवानों के लिए एक दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया। प्रशिक्षण शिविर का शुभारंभ कुटलैहड विधायक देवेंद्र कुमार भुट्टो ने किया। उन्होंने कहा कि प्राकतिक खेती को अपनाकर किसान/बागवान अपनी आर्थिकी को सुदृढ़ कर सकते हैं। उन्होंने आतमा व कृषि विभाग के अधिकारियों से कहा कि प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए अधिक से अधिक किसानों को प्रोत्साहित करें। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती धीरे-धीरे समय की जरूरत बनती जा रही है। इस पद्धति से कम लागत के साथ किसान जैविक पैदावार बढ़ा सकते हैं और अपनी आय में भी बढ़ौत्तरी कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती का मुख्य उद्देश्य रसायन मुक्त खेती को बढ़ावा देना है।
उन्होंने अधिकारियों को आदेश दिए कि प्राकृतिक खेती के बारे में जागरूक करने के लिए प्राकृतिक खेती कर रहे किसानों के खेतों में भ्रमण भी करवाएं ताकि अन्य किसान भी इस खेती से प्रेरित होकर प्राकृतिक खेती की ओर अपना रूख करें।
परियोजना निदेशक आतमा वरिन्दर बग्गा ने कहा कि प्राकृतिक खेती पदम श्री सुभाष पालेकर द्वारा दी गई कृषि पद्धति है इसमें किसान को नकद पैसे की आवश्यकता नही पड़ती। कृषि आदान जो फसल उत्पादन में प्रयोग होते हैं वे घर पर ही तैयार किए जाते है। उन्होंने बताया कि यह देसी गाय पर आधारित पद्धति है जिससे एक देसी गाय से 30 एकड़ जमीन पर खेती की जा सकती है। इस खेती में किसान में पहले वर्ष ही पूरी पैदावार मिलती है। उन्होंने कहा कि खाद व रसायनिक दवाईयों के नाम पर कोई भी उत्पाद बाजार से नहीं खरीदना पड़ता है। जमीन की भौतिक दशा सुधार के कारण खेत की तैयारी में आने वाली लागत घट जाती है तथा सिंचाई के पानी की बचत होती है। इस खेती का नारा है गांव का पैसा गांव में, शहर का पैसा गांव में। फसल उत्पादन जहजर मुक्त, उच्च गुणवत्ता युक्त, पोष्टिक व स्वादिष्ट होता है। मांग बढ़ने से दाम अच्दे मिलते हैं। यह खेती प्रकृति, विाान, अध्यात्म एवं अहिंसा पर आधारित शाशवत कृषि पद्धति है।
उन्होंने बताया कि जिला में सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती 2018 से की जा रही है। उन्होंने बताया कि 2018-19 में कुल 50 किसानों से खेती करवाने का लक्ष्य निर्धारित किया था जिसके फलस्वरूप 100 किसानों ने इस पद्धति को पूर्ण/आंशिक रूप से अपनाया जिससे किसानों की आय में काफी वृद्धि हुई। उन्होंने बताया कि किसानों को प्राकृतिक खेती के बारे में लगातार प्रशिक्षित किया जा रहा है। वर्ष 2022-23 में 4 हज़ार 676 किसानों को प्रशिक्षण शिवरों के माध्यम से प्रशिक्षित किया जा चुका है तथा 11 हज़ार 719 किसान इस प्रकृतिक कृषि पद्धति को अपने खेतों में सफलतापूर्वक अपना चुके हैं। उन्होंने बताया कि 1401.15 हैक्टेयर भूमि को प्राकृतिक खेती के अधीन लाया जा चुका है। 
उन्होंने बताया कि भारतीय देसी गाय पर 50 प्रतिशत अनुदान अधिकतम 25 हज़ार रूपये, कऊ शेड पर 80 प्रतिशत व अधिकतम 8 हज़ार रूपये, प्लास्टिक ड्रम पर 75 प्रतिशत व अधिकतम 2,250 रूपये की सहायता प्रदान की जाती है। इसके अतिरिक्त निःशुल्क प्रशिक्षण शिविर भी आयोजित किए जाते हैं।
इस अवसर पर उपमंडलाधिकारी बंगाणा, उप निदेशक कृषि कुलभूषण धीमान, खंड विकास अधिकारी सुरिंदर जेटली, उप परियोजना निदेशक राजेश राणा, संतोष शर्मा, वरिष्ठ प्शु चिकित्सा अधिकारी डॉ सतिन्द्र ठाकुर, मनोज कुमार,रेड क्रास सोसाईटी के पैटर्न सुरिंदर ठाकुर सहित अन्य उपस्थित रहे। 

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