पशु पालकों को गुमराह करने के लिए पेश किए जा रहे झूठे आंकड़े: जय सिंह सेन

पशु पालकों को गुमराह करने के लिए पेश किए जा रहे झूठे आंकड़े: जय सिंह सेन

ऊना/सुशील पंडित: उपनिदेशक पशु पालन विभाग ऊना डॉ. जय सिंह सेन ने जानकारी देते हुए बताया कि उपमंडल बंगाणा में 25 दिसंबर 2021 को कुल 21 इकाईयां पशु पालकों को पशु चिकित्सकों की निगरानी में पशु बीमा करने के उपरान्त वितरित की गई थी। चिकित्सक टीम की निगरानी, स्वस्थ्य परीक्षण के उपरांत, पशु पालकों से चुनाव करवा, बीमा कर, बकरियां पशु पालकों को दी गई। उस समय बकरियों में बीमारी के कोई लक्षण नहीं थे, अन्यथा पशु पालक उन्हें क्यों लेता। 

डॉ. सेन ने कहा कि मौसम खराब होने की वजह से या फिर प्राकृतिक कारण के चलते जिन-जिन पशु पालकों की बकरियों में खांसी, जुकाम के लक्षण आने लगे तो उप मंडल पशु चिकित्सा अधिकारी बंगाणा की अगुवाई में एक टीम का गठन कर पूरी मुस्तैदी से उनका उपचार शुरू किया गया। विशेषज्ञों की टीम को भी बुलाया गया और उनके परामर्श के अनुरूप उपचार शुरू किया गया तथा स्थानीय व कृषि विश्व विद्यालय पालमपुर से भी विशेषज्ञों की टीम बुलाई गई, जिसके बाद सैंपलिंग हुई और उसमें पीपीआर बीमारी की पुष्टि हुई। उसी के अनुरूप स्थिति को काबू करने का रात-दिन प्रयास किया गया और घर द्वार पर उपचार मुफ्त किया गया। 

उन्होंने कहा कि इसके बावजूद विभाग द्वारा दी गई 108 बकरियों की मृत्यु हुई, परंतु 1000 मृत बकरियों का आंकड़ा निराधार है। जहां तक मुआवजे की बात है जिनका बीमा कंपनी के नियमानुसार बनता था, तो सात लाभार्थियों को 17 बकरियों का मुआवजा दिलवाया है। बाकी नुकसान की भरपाई हेतु सप्लायर इसी माह बकरियां दे रहा था परंतु पशु पालकों ने बरसात में सप्लाई लेने से मना किया, लेकिन उन्हें यह सप्लाई सितंबर के पहले सप्ताह दी जाए जोकि लिखित रूप में सूचित भी कर दिया गया है। 

डॉ. जय सिंह सेन ने बताया कि बकरी पालन को लेकर कई प्रयास किए गए हैं और दर्जनों पशु पालक इससे लाभान्वित भी हुए हैं और बकरी पालन को लेकर पशु पालकों में उत्साह बढ़ा है। बंगाणा उपमंडल के पशु चिकित्सक समय-समय पर घर-घर जाकर बकरियों के रखरखाव से संबंधित जानकारियों व दवाएं पशु पालकों को प्रदान करते हैं, ताकि इस व्यवसाय को लाभकारी बनाया जा सके। उन्होंने बताया कि मनरेगा के तहत बकरी पालन के लिए शेड निर्माण में लाखों रुपए की सहायता दी गई। संयुक्त बकरी पालन, एक अलग कॉन्सेप्ट के तहत 26 केस और 120 अन्य शेड निर्माण के केस लाभार्थियों को लाभ देने के लिए बनाए गए।

डॉ. जय सिंह ने बताया कि गत चार वर्षों में बकरी पालन को लेकर दर्जनों जागरुकता शिविर आयोजित कर कृमि नाशक दवाई और अन्य खनिज लवण इत्यादि मुफ्त में बांटे गए। इस समय छोटे बड़े पूरे उपमंडल में 80 के करीब फार्म हैं और उन्हें कड़कनाथ मुर्गियां देकर मिश्रित खेती से जोड़ने का भी प्रयास किया गया। एक प्रगतिशील पशु पालक को प्रेरित कर पंद्रह लाख रुपए की लागत से आधुनिक बकरी फार्म, जसवाल आधुनिक बकरी फार्म बनवाया गया, जोकि पूरे प्रदेश के लिए आर्कषण का केंद्र बना हुआ हैं तथा प्रदेश भर से पशु पालक उसे देखने के लिए आते हैं।