नेशनल डेस्क। महाराष्ट्र में साल 2022 से लंबित पड़े स्थानीय निकाय चुनाव आखिरकार होने जा रहे हैं। राज्य चुनाव आयोग ने घोषणा की है कि 15 जनवरी को मतदान होगा, जबकि 16 जनवरी को वोटों की गिनती की जाएगी। इन चुनावों से राज्य की राजनीति की दिशा तय होने की उम्मीद है।
किन-किन निकायों के लिए होंगे चुनाव
इन चुनावों के तहत राज्य भर में 29 नगर निगम, 32 जिला परिषद और 336 पंचायत समितियों के लिए मतदान कराया जाएगा। चुनाव के लिए कुल 10,111 पोलिंग स्टेशन बनाए जाएंगे। मतदान में 1 जुलाई 2025 को जारी की गई रिवाइज्ड वोटर लिस्ट का इस्तेमाल किया जाएगा। उम्मीद है कि इस बार वोटरों की संख्या में करीब 3 करोड़ 48 लाख की बढ़ोतरी होगी।
नॉमिनेशन और चुनाव चिन्ह की तारीखें
-23 दिसंबर से 30 दिसंबर: नामांकन दाखिल
-2 जनवरी 2026: नामांकन वापस लेने की आखिरी तारीख
-3 जनवरी 2026: चुनाव चिन्हों का आवंटन
-राज्य चुनाव आयोग के ताजा निर्देशों के अनुसार, नॉमिनेशन फॉर्म ऑफलाइन ही जमा करने होंगे।
मुंबई (BMC) चुनाव क्यों हैं सबसे अहम
राजनीतिक तौर पर मुंबई महानगरपालिका (BMC), पुणे और ठाणे के चुनाव सबसे ज्यादा अहम माने जा रहे हैं। BMC न सिर्फ देश का, बल्कि एशिया का सबसे बड़ा और सबसे अमीर नगर निगम है। इसका सालाना बजट कई छोटे राज्यों के बजट से भी ज्यादा है, इसलिए सभी राजनीतिक दल इसे जीतने के लिए पूरी ताकत लगा रहे हैं।
BMC में कड़ा मुकाबला
BMC पर पहले अविभाजित शिवसेना का कब्जा था। 2022 में शिवसेना के बंटवारे के बाद राजनीतिक समीकरण पूरी तरह बदल गए। अब इस बार का चुनाव यह बताएगा कि मुंबई की जनता किस राजनीतिक गठबंधन के साथ खड़ी है।
पिछले चुनाव का क्या था हाल
साल 2017 के नगर निगम चुनाव में अविभाजित शिवसेना 84 सीटें, बीजेपी 82 सीटें, कांग्रेस 31 सीटें, NCP 9 सीटें मिली थीं। इसके बाद महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के 7 में से 6 कॉर्पोरेटर शिवसेना में शामिल हो गए थे।
शिवसेना के बंटवारा का असर…
2022 में शिवसेना के विभाजन के बाद, 2017 में चुने गए करीब 26 पूर्व कॉर्पोरेटर उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के गुट में शामिल हो गए। BMC के चुने गए कॉर्पोरेटरों का कार्यकाल मार्च 2022 में खत्म हो गया था, जिसके बाद नगर आयुक्त को प्रशासक नियुक्त किया गया।
वोटर लिस्ट को लेकर अहम फैसला
इससे पहले 27 नवंबर को महाराष्ट्र राज्य चुनाव आयोग ने 29 नगर निगमों की वोटर लिस्ट फाइनल करने की डेडलाइन बढ़ा दी थी। इसका मकसद वोटर वेरिफिकेशन के लिए ज्यादा समय देना और मतदाता सूची को ज्यादा सटीक बनाना था।