नई दिल्लीः दिन प्रतिदिन गर्मी बढ़ती जा रही है। ऐसे में लोग ठंडी चीजें खाना बहुत पसंद करते हैं। वहीं कई लोग चिलचिलाती धूप व तेज लू से बचने के लिए लोग तरह-तरह के कोल्ड ड्रिंक्स पीते हैं। कई बार तो गर्मी से इंस्टेंट राहत पाने के लिए लोग बर्फ भी चबाते हैं। इससे ओरल ड्राईनेस से राहत मिलती है और हाइड्रेशन में भी मदद मिलती है। माहिरों के मुताबिक, कभी-कभार बर्फ चबाना तो ठीक है, लेकिन अगर अक्सर इसकी क्रेविंग होती है तो ये एक खास हेल्थ कंडीशन का संकेत हो सकता है।
इसे मेडिकल टर्म में ‘पैगोफेजिया’ कहा जाता है। यह ईटिंग डिसऑर्डर का एक रेयर फॉर्म है, जिसे पिका (PICA) भी कहते हैं। ये वैसी स्थिति है, जैसे किसी को चॉक या मिट्टी खाने का मन करता है। पिका ज्यादातर बच्चों और गर्भवती महिलाओं में देखा जाता है, लेकिन यह किसी को भी हो सकता है। एक स्टडी के मुताबिक, आमतौर पर पैगोफेजिया आयरन डिफिशिएंसी एनीमिया या किसी मेंटल प्रॉब्लम से जुड़ा होता है। ऐसे में इसे नजरअंदाज करना खतरनाक हो सकता है।
अकसर कब लोग बर्फ खाते हैं?
आइस क्रेविंग कई कारणों से हो सकती है। एक स्टडी के मुताबिक, शरीर में आयरन की कमी होने पर कुछ लोगों को बर्फ खाने की क्रेविंग हो सकती है। हालांकि यह अभी पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है कि ऐसा क्यों होता है। प्रेग्नेंसी, पीरियड और ब्रेस्टफीडिंग के दौरान महिलाओं में आयरन की कमी होने का खतरा बढ़ जाता है, जिससे उन्हें बर्फ खाने की तलब लग सकती है। वहीं कुछ लोग तनाव कम करने के लिए बर्फ खाते हैं। इससे उन्हें सुकून मिलता है। इसके अलावा शरीर में पानी की कमी होने पर भी बर्फ खाने की इच्छा हो सकती है।
बर्फ खाने के नुक्सान
हालांकि थोड़ी मात्रा में बर्फ खाना आमतौर पर खतरनाक नहीं होता है। लेकिन बहुत ज्यादा बर्फ खाने से दांतों के इनेमल खराब हो सकते हैं और सेंसिटिविटी हो सकती है। बहुत ज्यादा बर्फ खाने से पेट का तापमान अचानक से गिर सकता है। ऐसे में जिनकी पाचन क्रिया कमजोर होती है, इससे उन्हें हल्का दर्द या ऐंठन महसूस हो सकती है। इसके अलावा हमारे शरीर में भोजन पचाने के लिए कुछ खास एंजाइम काम करते हैं। ठंडी चीजें इन एंजाइम की कार्यक्षमता को थोड़ा धीमा कर सकती हैं, जिससे पाचन प्रक्रिया अस्थायी रूप से प्रभावित हो सकती है। बर्फ बहुत कठोर होती है और लगातार चबाने से दांतों की बाहरी परत, जिसे इनेमल कहते हैं, वह घिस सकती है। इससे दांतों में छोटी-छोटी दरारें आ सकती हैं, वे टूट भी सकते हैं। इनेमल कमजोर होने से दांत ठंडे या गर्म चीजों के प्रति ज्यादा सेंसिटिव हो सकते हैं। इसके अलावा जबड़े में दर्द भी हो सकता है।
एनीमिया से संबंधित समस्याएं
बर्फ खाने से एनीमियां से संबंधित समस्याएं पैदा होती हैं जिसमें व्यक्ति को थकान और कमजोरी महसूस हो सकती है, बच्चों में इन्फेक्शन का खतरा बढ़ जाता है, बच्चों की फिजिकल और मेंटल ग्रोथ में रुकावट हो सकती है, हार्ट संबंधी समस्याएं हो सकती हैं, प्रेग्नेंसी में मां और बच्चे दोनों के लिए खतरा हो सकता है।
बर्फ का गोला खाने के नुक्सान
वहीं अकसर देखा जाता है कि कुछ लोग गर्मी में हर रोज बर्फ का गोला खाना पसंद करते हैं। इससे कुछ देर के लिए ताजगी जरूर महसूस होती है। लेकिन लंबे समय में यह नुकसानदायक हो सकती है। दरअसल बर्फ का गोला बनाने के लिए उसमें फ्लेवर्ड शुगर सिरप मिलाया जाता है, जो सेहत पर बुरा असर डाल सकता है। इसलिए फ्लेवर्ड आइस को सीमित मात्रा में ही खाना चाहिए। इससे वजन और ब्लड शुगर लेवल बढ़ सकता है।
आइस क्रेविंग का इलाज
आइस क्रेविंग का इलाज इसके कारण पर निर्भर करता है। अगर ये आयरन डेफिशिएंसी एनीमिया के कारण है तो डॉक्टर आमतौर पर आयरन सप्लीमेंट्स लेने की सलाह देते हैं। इसी तरह अन्य पोषक तत्वों की कमी के लिए डॉक्टर उसके सप्लीमेंट्स लेने की सलाह दे सकते हैं। वहीं प्रेग्नेंसी के दौरान होने वाली आइस क्रेविंग अक्सर डिलीवरी के बाद अपने आप ठीक हो जाती है।