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बच्चों बैग और टिफिन बॉक्स से हो रही ड्रग्स की तस्करी, ऐसे हुआ खुलासा

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नई दिल्ली: बांग्लादेश में ड्रग्स की तस्करी कभी घास की बोरियों की आड़ में, तो कभी साइकिल ट्यूब के नीचे की जाती है। दरअसल, जैसे-जैसे सुरक्षा बढ़ती जा रही है, तस्करी के विभिन्न तरीके अपनाए जा रहे हैं। अब ड्रग्स तस्करी का नया मोड्स आपरेंडी सामने आया है। बच्चों के स्कूल बैग-टिफिन बॉक्स में छिपाकर ड्रग्स, सोने और मादक पदार्थ भेजे जा रहे हैं। सीमा सुरक्षा बल के जवानों ने भारत-बांग्लादेश की सीमा से बच्चों को ड्रग्स के साथ पकड़ा है और उसके बाद इस नए तरीके का खुलासा हुआ है।

बीएसएफ से मिली जानकारी के अनुसार स्कूल जाने वाले बच्चों के टिफिन बॉक्स में रोटी-सब्जी के साथ जाली नोट दिए जा रहे हैं। हेरोइन और ड्रग्स भरे जा रहे हैं और इस तरह से आये दिन मुर्शिदाबाद सीमा के जरिए बांग्लादेश से ड्रग्स, जाली नोट और सोने की तस्करी हो रही है। हाल में बीएसएफ ने मुर्शिदाबाद के शमसेरगंज, सुती, जलांगी जैसे सीमावर्ती इलाकों से तस्करी के आरोप में एक के बाद एक पिता और पुत्र को गिरफ्तार किया है।‌ पुलिस के मुताबिक, आबादी वाले इलाकों में तस्करी के सामान का सुरक्षित आदान-प्रदान करने के लिए नाबालिगों को करियर के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है।

बीएसएफ जवानों और पुलिस से बचने के लिए बच्चों को तस्करी के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं। मूल रूप से सीमावर्ती इलाके में रहने वाले किसान, युवा और बुजुर्ग कुछ अतिरिक्त आय के लिए तस्करी में शामिल हो जाते हैं और बच्चों को अब इसमें शामिल होने के लिए बढ़ावा दे रहे हैं। हाल में पुलिस ने शमसेरगंज इलाके के डाकबंगला इलाका राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 34 पर पुलिस ने सोहेल राणा नाम के 15 साल के स्कूली छात्र को गिरफ्तार किया था। उसके पास से 500 रुपए के 112 नकली नोट मिले थे।

एक और उदाहरण इसी साल जून में पुलिस को मिला। मुर्शिदाबाद के बाउरिया से तीन लाख रुपये के नकली नोटों के साथ दो किशोरों को गिरफ्तार किया गया था। उसमें एक 10वीं का छात्र तो दूसरा 11वीं का है। वे अपने स्कूल बैग में नकली पैसे छिपाकर ले जाने की कोशिश कर रहे थे।

इसके पहले मुर्शिदाबाद के सुती थाना क्षेत्र के राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 34 पर सजुरमोर से पुलिस ने स्कूल यूनिफॉर्म पहने तीन छात्रों को गिरफ्तार किया था। तीन लोगों के बैग की तलाशी लेने पर दो लाख रुपये के नकली नोट और 150 ग्राम हेरोइन मिली। पुलिस पूछताछ में आठवीं कक्षा के तीनों छात्रों ने बताया कि उन्हें अपने-अपने पिता से पैसे मिले थे। उन्होंने साफ कहा था कि नकली नोट और हेरोइन के पैकेट उनके पिता ने उनके बैग में रखे थे। ऐसी ही एक और घटना कुछ दिन पहले जालंगी में हुई थी। बीएसएफ को जानकारी मिली कि पिता ने याबा टैबलेट की तस्करी के लिए बेटे को इस्तेमाल किया है। इसके बाद लड़के को पकड़ लिया गया।

सीमा सुरक्षा बल और राज्य पुलिस का खुफिया विभाग ऐसी कई घटनाओं को लेकर चिंतित है। नाबालिग बच्चों के जरिए तस्करों तक ड्रग्स, सोना, जाली नोट पहुंचाने के इस तरीके को रोकने के लिए पुलिस और बीएसएफ काम कर रही है।‌ बीएसएफ के डीआइजी दक्षिण बंगाल फ्रंटियर एके आर्य टीवी 9 हिंदी से कहा, ”तस्कर हर कुछ दिनों में अपनी रणनीति बदलते हैं। हम उस रणनीति के माध्यम से उनकी तस्करी की योजनाओं को भी सावधानीपूर्वक विफल कर देते हैं। हम नाबालिगों की तस्करी की योजना से अवगत हैं। कई गिरफ्तारियां भी हुई हैं।”

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