नई दिल्ली: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रुस-यूक्रेन युद्ध पर अपने पीस प्लान पर बात की। उन्होंने कहा कि यदि वो राष्ट्रपति होते तो यह लड़ाई ही शुरु नहीं होती। उन्होंने बताया कि उनके ग्रूप ने पिछले हफ्ते इस युद्ध को खत्म करने के लिए बहुत काम किया है। अमेरिका की ओर से एक शांति प्रस्ताव पेश किया गया है। इस प्रस्ताव में अब कुछ ही मुद्दे बचे हैं।
इस शर्त पर करेंगे ट्रंप रुस-यूक्रेन से मुलाकात
ट्रंप ने अपने दूत स्टीव विटकॉफ को रुस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मिलने के लिए भेजा है। अमेरिकी सेना के बाकी अधिकारी डैन ड्रिस्कोल यूक्रेन के प्रतिनिधियों से भी बात कर रहे हैं। ट्रंप का यह कहना है कि वो रुस और यूक्रेन के नेताओं से तभी मिलेंगे जब बातचीत अंतिम चरण में होगी। पीस प्लान में रुस को कुछ राहत मिलती दिखी है। इस प्रस्ताव के मुताबिक, यूक्रेन को नाटो में शामिल न होने का वादा भी करना पड़ेगा। अपनी सेना की सीमाएं भी तय करनी पड़ेगी। बदले में रुस के कुछ सैन्य गतिविधियों पर भी रोक लगा सकता है।
पिछले तीन साल से चल रहा है युद्ध
रुस-यूक्रेन के बीच में पिछले तीन साल से युद्ध चल रहा है। इस युद्ध में भारी जान-माल का नुकसान हो चुका है। ट्रंप यह चाहता है कि फिलहाल दोनों देश मौजूदा स्थिति पर ही रुकें ताकि लड़ाई न बढ़ पाए वहीं यूक्रेन रुस के कब्जे वाले इलाकों को वापिस पाने के लिए नाटो और यूरोपीय देशों से मदद मांगता रहा है। इसी बात के कारण ट्रंप की सोच अलग है क्योंकि वो युद्ध को जल्दी रोकने पर जोर देते हैं।
ट्रंप का यह प्रस्ताव उम्मीद भी जाग रहा है और विवाद भी खड़ा करता है। यूक्रेन जहां अपनी सुरक्षा और सीमाओं की गारंटी चाहता है वहीं रुस अपने कब्जे वाले क्षेत्रों को सही ठहरने का मौका अब सही मान रहा है। एक्सपर्ट्स का यह कहना है कि यह योजना दोनों पक्षों की बातचीत की ओर ला सकती है परंतु इसको सफल बनाने के लिए कुछ जटिल मुद्दों का हल निकलना पड़ेगा।
यूरोप कर रहा युद्ध को रोकने का समर्थन
ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी के नेताओं ने अपनी कोएलिशन ऑफ द विलिंग की बैठक के बाद अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के यूक्रेन युद्ध को खत्म करने की कोशिशों का समर्थन कर रहा है। तीनों देशों ने यह साफ कह दिया है कि किसी भी समाधान में यूक्रेन की पूरी भागीदारी जरुरी है। इसके अलावा फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रो, ब्रिटेन के पीएम किएर स्टार्मर और जर्मनी के चांसलर फ्रेडरिक मर्ज ने अपने संयुक्त बयान में यह साफ कह दिया है कि वो इस मूल सिद्धांत पर एकमत हैं कि सीमाओं का बलपूर्वक बदला नहीं जा सकता। नेताओं ने कहा है कि यह सिद्धांत पूरा यूरोप ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए बहुत जरुरी है।