नई दिल्ली: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर बड़ा दावा कर दिया है। उन्होंने व्हाइट हाउस में मीडिया के साथ बातचीत के दौरान यह साफ कह दिया है कि अमेरिका ने जो पीस प्लान कीव को भेजा है वो उनकी अंतिम पेशकश नहीं है। उन्होंने यह भी जोड़ा है कि यदि यूक्रेन चाहता है तो वह पूरी ताकत के साथ लड़ाई जारी रख सकता है। ट्रंप ने यह दावा भी किया है कि अमेरिका इस संघर्ष को किसी भी स्थिति में खत्म करवाकर ही रहेगा।
ट्रंप होते राष्ट्रपति तो शुरु नहीं होता युद्ध
उन्होंने यूक्रेन से 27 नवंबर तक जवाब देने के लिए कहा है। इस बातचीत में ट्रंप ने यह दावा भी किया है कि यदि 2022 में वो राष्ट्रपति होते तो कभी यूक्रेन-रुस का युद्ध शुरु नहीं होता। अमेरिकी की राजनीति में उस समय बड़ी हलचल हुई जब रिपब्लिकन सीनेटर माइक राउंड्स ने यह बताया कि विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने सीनेटरों को यह जानकारी दी है कि अमेरिका की ओर से बनाई गई 28 बिंदुओं वाला पीस प्लान रुस से मिले हुए कंटेंट पर आधारित है हालांकि अमेरिकी विदेश विभाग ने यह दावा खारिज कर दिया है और इस पर कोई सार्वजनिक टिप्पणी नहीं की है। इसी बीच अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी और यूक्रेन के प्रतिनिधि जिनेवा में इस प्लान की समीक्षा और संशोधन पर चर्चा करने वाले हैं।
जेलेंस्की ने पीस प्लान पर जाहिर की चिंता
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की ने अमेरिका के प्रस्ताव पर चिंता जाहिर की है। उन्होंने कहा कि कीव इस समय अपने इतिहास के सबसे कठिन दौर में है। अमेरिका से आने वाला ये पीस प्लान रुस के हितों के करीब नजर आ रहा है और यूक्रेन पर इसे मानने का दबाव भी बढ़ता जा रहा है। जेलेंस्की ने यह कहा कि उन्हें तय करना होगा कि देश अपनी गरिमा को बचाए या फिर एक बड़े सहयोगी को खोने का जोखिम उठा सकता है। इसके साथ ही उन्होंने अमेरिका के साथ बातचीत जारी रखने की बात भी कही।
यूरोप ने जताई पीस प्लान पर आपत्ति
जी-20 सम्मेलन में शामिल यूरोपीय देशों ने अमेरिका के पीस प्लान पर अपनी चिंता दर्ज की है। उनके बयान में यह कहा गया है कि यह प्लान आपसी बातचीत का आधार बनेगा परंतु इसमें कई प्रमुख बिंदुओं को भी बदलने की जरुरत है। यूरोपीय देशों ने यह दोहराया है कि किसी भी देश की सीमाएं बलपूर्वक नहीं बदली जानी चाहिए और अगर यूक्रेन अपनी वर्तमान स्थिति छोड़ देगा तो वह भविष्य के लिए असुरक्षित हो जाएगा। इसके साथ ही यूक्रेन की सेना की संख्या सीमित करने और उसके पड़ोसी पोलैंड में यूरोपीय लड़ाकू विमानों की तैनाती का प्रस्ताव भी सामने आया है।