नई दिल्ली: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बड़ा ऐलान कर दिया है। ट्रंप ने दवाईयों की कीमतें कम करने की घोषणा कर दी है। उन्होंने कहा कि अब अमेरिकी मरीजों को दवाईयों के लिए दुनिया में कहीं भी ले जाने वाली सबसे कम कीमत से ज्यादा पैसे नहीं चुकानें पड़ेंगे। इसका ऐलान ट्रंप ने व्हाइट हाउस में आयोजित एक कार्यक्रम में दिया है। उन्होंने करहा कि अमेरिका में अब सबसे पसंदीदा देश मूल्य प्रणाली लागू की जाएगी। इसका अर्थ है कि अमेरिका में दवाईयां सबसे कम कीमत पर मिलेगी।
दुनिया में किसी भी देश में इतनी कम कीमत पर दवाईयां नहीं बेची जाती। उन्होंने बताया कि अब तक अमेरिकी लोगों को दूसरे देशों की तुलना में बहुत ज्यादा कीमत चुकानी पड़ती थी परंतु अब ऐसा नहीं होगा।
कंपनियों को मानने होंगे नियम
ट्रंप ने यह साफ कह दिया है कि अमेरिकी दवाइयों के लिए अब मोटी रकम नहीं देनी पड़ेगी। कई दशकों से अमेरिकी लोग दुनिया में सबसे महंगी दवाइयां खरीदने को मजबूर थे लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। हम मोस्ट फेवर्ड नेशंस प्राइसिंग लागू कर रहे हैं। इसका मतलब यह है कि दुनिया के किसी भी देश में दवा की जो सबसे कम कीमत होगी वही कीमत अब अमेरिका में लागू होगी। ट्रंप ने चेतावनी दी है कि यदि कंपनियों ने नियम नहीं मानें तो उन पर आयात शुल्क लगाया जाएगा। ट्रंप के अनुसार, अगले साल से दवाईयों की कीमतें तेजी से गिरनी शुरु होगी।
भारतीय फार्मा सेक्टर को होगा नुकसान
भारत को दुनिया की फार्मेसी कहते हैं। भारतीय कंपनियां अमेरिका को बड़े पैमाने पर सस्ती जेनेरिक दवाएं निर्यात करती है। ट्रंप के इस फैसले से अब भारत को दोनों और से नुकसान हो सकता है। क्योंकि भारत में दवाईयों की कीमतें दुनिया में सबसे कम है। यदि अमेरिका इन कीमतों को अपना बेंचमार्क बनाएगा तो वहां की कंपनियों का मुनाफा कम होगा। इसका सीधा असर भारतीय सप्लाई चेन पर पड़ेगा। ट्रंप ने साफ चेतावनी दी है कि वे अन्य देशों की कीमतें कम करने के लिए मजबूर करने के लिए टैरिफ का इस्तेमाल करेंगे। बिना टैरिफ के हम यह लक्ष्य कभी हासिल नहीं कर पाते।