नई दिल्ली: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के काम भारत के साथ उनके रिश्ते खराब करते दिख रहे हैं। ट्रंप के ईगो को दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के साथ रणनीतिक संबंध नष्ट करने की अनुमति नहीं दी जा सकती। ये बयान एक कद्दावर अमेरिकी सांसद और दो पूर्व शीर्ष अमेरिकी अधिकारियों के हैं। अमेरिका-भारक कॉकस के सह-अध्यक्ष भारतीय अमेरिकी कांग्रेसी रो खन्ना की मानें तो वह अमेरिका भारत साझेदारी को नष्ट करने के लिए ट्रंप के द्वारा किए गए प्रयासों पर अलार्म बजा रहे हैं। खन्ना ने ट्रंप पर अमेरिका भारत गठबंधन को मजबूत करने के लिए 30 सालों से चल रहे दोनों देशों के प्रयासों को कमजोर करने का आरोप भी लगाया है।
खन्ना ने आगे कहा है कि ट्रंप की नीतियां भारत को चीन और रुस की ओर धकेल रही हैं। यह एक इस तरह का ट्रैंड है जो अमेरिका के लिए एक रणनीतिक झटका है। उनका कहना है भारत पर लगाया हुआ टैरिफ से भी ज्यादा है। रो खन्ना के अनुसार, इस मूल विवाद की मुख्य वजहें साफ हैं। खन्ना का कहना है कि पीएम मोदी के द्वारा ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकित करने से मना करने के चलते दोनों देशों के बीच में रिश्ते खराब हो गए हैं वहीं पाकिस्तान ने ऐसा खुशी-खुशी कर दिया था।
अमेरिका डिप्लोमेसी में एक प्रभावी आवाज बनकर उभरने वाले रो खन्ना ने इस्लामाबाद के एक बयान का भी हवाला दिया है। इसमें इस साल मई में भारत और पाकिस्तान के बीच 4 दिनों तक चले हुए संघर्ष को खत्म करने का श्रेय ट्रंप को दिया गया था हालांकि भारत ने कहा है कि पाकिस्तान के साथ सीमा विवाद एक आंतरिक मामला है और उसने ट्रंप को कोई भी श्रेय नहीं दिया है। खन्ना का कहना है कि – ‘हम डोनाल्ड ट्रंप के ईगो को भारत के साथ रणनीतिक संबंधों को नष्ट करने की अनुमति नहीं दे सकते जो ये सुनिश्चित करने के लिए जरुरी है। विश्व का नेतृत्व अमेरिका को करना चाहिए न कि चीन। रो खन्ना ने भारतीय अमेरिकियो को संबोधित करते हुए कहा है कि जिन्होंने ट्रंप को वोट दिया है मैं आज उनसे पूछ रहा हूं कि आप कहां है जबकि ट्रंप इस रिश्ते को खत्म कर रहे हैं’।
टैरिफ और रुसी तेल की खरीद को लेकर भारत पर निशाना भी साधा है। उन्होंने ट्रंप के एक्शन की अमेरिका के दूसरे रणनीतिकारों ने भी सख्त आलोचना की है। इनमें वो अधिकारी भी शामिल हैं जो व्हाइट हाउस प्रशासन में अपनी सेवाएं दे चुके हैं। पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडेन के कार्यकाल में बतौर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहाकार काम कर चुके हैं। जैक सुलिवन ने कहा है कि मुझे लगता है कि ट्रंप परिवार के साथ व्यापारिक समझौते करने की पाकिस्तान की इच्छे के चलते ट्रंप ने भारत के साथ अपने संबंधों को खराब कर लिया है।
ट्रंप को नहीं इकोनॉमिक्स की समझ
न्यूयॉर्क में स्थित स्कूल ऑफ प्रोफेशनल स्टडीज में सेंटर फॉर ग्लोबल अफेयर्स के विश्लेषक एडवर्ड प्राइस कहते हैं कि राष्ट्रपति ट्रंप को इकोनॉमिक्स की कोई बी समझ नहीं है। मौजूदा समय में भारत के साथ टकराव की जरुरत नहीं थी। उनका कहना है कि – ‘मैं पहले सोचता था कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को अर्थशास्त्र की बहुत कम समझ है और अब मुझे एहसास हुआ है कि मैं गलत था। दरअसल अमेरिकी राष्ट्रपति को अर्थशास्त्र की कोई समझ नहीं है। भारत के प्रति उनके व्यवहार को देखते हुए खासतौर पर मौजूदा समय में अमेरिका और भारत के बीच ऐसे टकराव की कोई वजह नहीं है। यह जरुरी नहीं था और यह पूरी तरह से अमेरिकी की ही करतूत थी’। एडवर्ड प्राइस ने कहा है कि ट्रंप ने भारत और अमेरिका के रिश्तेों को नुकसान पहुंचाया है या तो वह अमेरिकी राष्ट्रीय हित को नहीं समझते हैं या फिर इसके खिलाफ एक्टिव तौर पर काम कर रहे हैं। इसी के बीच एक तरह के एक्टिव संकेत में ट्रंप ने कहा है कि हम भारत के साथ बहुत अच्छे संबंध रखते हैं परंतु उन्होंने यह भी कहा है कि भारत के साथ अमेरिका का व्यापारिक रिश्ता एकतरफा ही था और व्यापार संतुलित था।