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आस्था की डुबकी : कथा के समापन पर बाबा बाल जी से आशीर्वाद  लेते श्रृद्धालू 

श्री राधा कृष्ण मंदिर कोटला कलां में श्रीमद भागवत कथा का सातवां दिन, भगवान कृष्ण और सुदामा की मित्रता का प्रसंग सुनाया

ऊना/सुशील पंडित :बाबा बाल जी आश्रम श्री राधा कृष्ण मंदिर कोटला कलां में सात दिवसीय श्रीमद भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के सातवें दिन कथा व्यास ठाकुर कृष्ण चंद्र शास्त्री ने विभिन्न प्रसंगों पर प्रवचन दिए। उन्होंने कथा के सातवें दिन श्रीकृष्ण की अलग-अलग लीलाओं का वर्णन किया। इस दौरान प्रांगण में उपस्थित श्रद्धालुओं ने बाबा बाल जी का आशीर्वाद प्राप्त किया कथा व्यास ठाकुर कृष्ण चंद्र शास्त्री ने बताया कि मां देवकी के कहने पर छह पुत्रों को वापस लाकर मां देवकी को वापस देना सुभद्रा हरण का आख्यान कहना एवं सुदामा चरित्र का वर्णन करते हुए कथा व्यास ने बताया कि मित्रता कैसे निभाई जाए यह भगवान श्री कृष्ण व सुदामा प्रसंग से समझ सकते हैं ।

उन्होंने कहा कि सुदामा अपनी पत्नी के आग्रह पर अपने मित्र से श्री कृष्णा से मिलने के लिए द्वारिका पहुंचे। उन्होंने कहा कि सुदामा द्वारिकाधीश के महल का पता पूछा और महल की ओर बढ़ने लगे द्वार पर द्वारपालों ने सुदामा को भिक्षा मांगने वाला समझकर रोक दिया। तब उन्होंने कहा कि वह कृष्ण के मित्र हैं इस पर द्वारपाल महल में गए और प्रभु से कहा कि कोई उनसे मिलने आया है।

अपना नाम सुदामा बता रहा है जैसे ही द्वारपाल के मुंह से उन्होंने सुदामा का नाम सुना प्रभु सुदामा सुदामा कहते हुए तेजी से द्वार की तरफ भागे सामने सुदामा सखा को देखकर उन्होंने उसे अपने सीने से लगा लिया। सुदामा ने भी कन्हैया कन्हैया कहकर उन्हें गले लगाया दोनों की ऐसी मित्रता देखकर सभा में बैठे सभी लोग अचंभित हो गए। कृष्ण सुदामा को अपने राज सिंहासन पर बैठाया हुआ।

उन्हें कुबेर का धन देकर मालामाल कर दिया। जब जब भी भक्तों पर विपदा आ पड़ी है। प्रभु उनका तारण करने अवश्य आए हैं। बाबा बाल जी आश्रम में महाराज जी के सानिध्य में चल रही सात दिवसीय कथा शांतिपूर्ण माहौल में संपन्न हुई। कथा व्यास ने कहा कि जो भी भागवत कथा का श्रवण करता है उसका जीवन तर जाता है। 

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