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बकरियां मरने के झूठे आंकड़े पेश कर विभाग जनता को गुमराह करने का प्रयास कर रहा: देसराज मोदगिल

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ऊना/सुशील पंडित: प्रदेश सरकार द्वारा कृषक बकरी पालन योजना के तहत पशुपालकों की आर्थिकी को सुधारने के लिए जहाँ किसानों को उन्नत नस्ल की बकरियाँ अनुदान पर उपलब्ध कराई गईं, वहीं उनकी सिलसिलेवार मौत होने से किसान एक बार फिर ऋण के बोझ तले दब गए हैं। ये बात प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सचिव देशराज मोदगिल ने जारी प्रेस वक्तव्य में कही। मोदगिल ने कहा कि एक तरफ विभाग बकरियों के मरने की पुष्टि को लेकर कन्नी काट रहा है तो वहीं दूसरी तरफ विभाग के आलाधिकारी 108 बकरियों के मरने की पुष्टि समाचार पत्रों में कर रहे हैं। ऐसा कर सरकार व विभाग के अधिकारी क्या दर्शाना चाह रहे हैं?

मोदगिल ने कहा कि किसानों ने अपनी आर्थिकी को सुदृढ़ करने के लिए विभाग से अनुदान राशि पर बकरियाँ खरीदीं थीं लेकिन इन बकरियों के साथ-साथ उनकी अपनी घर में पाली गई बकरियों के मरने से किसानों के हौसले पस्त हो गए हैं। जिन किसानों की अपनी बकरियां मर गई हैं विभाग उनकी गिनती अपने आंकड़ों में नहीं कर रहा है किसानों की हजारों अपनी बकरियां उस बीमारी की चपेट में आने से मरी है जो बीमारी विभाग द्वारा दी जाने वाली बकरियों में थी अब न तो सरकार इनकी सुध ले रही है और न ही पशुपालन विभाग। ऐसे में किसान जाएं तो जाएं कहाँ? बकरियों के मरने के झूठे आंकड़े पेश कर विभाग जनता को गुमराह करने का प्रयास कर रहा है।

मोदगिल ने कहा कि जब ये बकरियाँ पशु चिकित्सकों की निगरानी, स्वस्थ्य परीक्षण के उपरांत, पशु पालकों से चुनाव करवाकर और बीमा कर पशुपालकों को दी गईं तो यकायक इनकी क्रमवार मौत होने के क्या कारण हैं? विभाग व सरकार स्थिति स्पष्ट करे और पशुपालकों की मरी बकरियों का मुआवजा भी जल्द से जल्द उन्हें दे ताकि वे कुछ हद तक ऋण के बोझ से उबर सकें। हमारी सरकार से यह भी मांग है कि सरकार किसानों की निजी मरी हुई बकरियों की भी राहत प्रदान करें।

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