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केंद्र का Cyber Crime और Digital Arrest के खिलाफ बड़ा एक्शन, 17 हजार WhatsApp Accounts किए Block

Highlights:

  1. केंद्र सरकार ने 17,000 व्हाट्सएप अकाउंट और 709 मोबाइल ऐप्स किए ब्लॉक।
  2. गृह मंत्रालय की साइबर विंग ने साइबर अपराध रोकने के लिए तेज की कार्रवाई।
  3. साइबर फ्रॉड और डिजिटल अरेस्ट से निपटने के लिए कड़े कदम उठाने की घोषणा।

एनकाउंटर न्यूज़, 21 नवंबर, 2024, नई दिल्ली: भारत में साइबर अपराध और डिजिटल अरेस्ट के मामलों में वृद्धि के बीच, केंद्र सरकार ने अब एक सख्त कदम उठाते हुए 17,000 व्हाट्सएप अकाउंट्स और 709 मोबाइल ऐप्स को ब्लॉक कर दिया है। इन अकाउंट्स और ऐप्स का इस्तेमाल साइबर फ्रॉड और डिजिटल अरेस्ट जैसे अपराधों में किया जा रहा था। यह कदम तब उठाया गया है जब एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में साइबर अपराध की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं और सरकार इनसे निपटने के लिए सक्रिय कदम उठा रही है।

गृह मंत्रालय की सख्त कार्रवाई

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने साइबर अपराधों के खिलाफ अपनी लड़ाई को तेज करते हुए एक हाई-लेवल कमेटी का गठन किया है। यह कमेटी डिजिटल अरेस्ट और साइबर फ्रॉड के मामलों की जांच करेगी और उनकी रोकथाम के लिए रणनीतियाँ बनाएगी। मंत्रालय ने कहा कि अब तक इस साल में 6,000 से ज्यादा डिजिटल अरेस्ट की घटनाएं दर्ज की गई हैं और इन अपराधों में शामिल 6 लाख मोबाइल डिवाइस और 709 ऐप्स को ब्लॉक किया गया है।

गृह मंत्रालय के साइबर विंग ने 709 मोबाइल ऐप्स और 3.25 लाख फर्जी बैंक खातों को फ्रीज किया है। साथ ही 1.10 लाख फेक IMEI नंबरों को भी ब्लॉक किया गया है, जो साइबर अपराधों में इस्तेमाल हो रहे थे।

भारत में बढ़ते साइबर अपराधों के आंकड़े

साइबर सुरक्षा संस्था प्रहार की रिपोर्ट के अनुसार, 2023 में भारत में 7.9 करोड़ से अधिक साइबर हमले हुए, जो कि पिछले साल की तुलना में 15% अधिक थे। इसके कारण भारत वैश्विक स्तर पर साइबर हमलों के मामले में तीसरे स्थान पर आ गया है।

साइबर अपराधियों के बढ़ते हमलों को देखते हुए, सरकार ने इस पर नियंत्रण पाने के लिए एक व्यापक रणनीति बनाई है। साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यदि इस दिशा में समय रहते प्रभावी कदम नहीं उठाए गए तो भारत में साइबर हमलों की घटनाएं और बढ़ सकती हैं, जिससे निजी और राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा हो सकता है।

प्रधानमंत्री मोदी की चेतावनी और सुझाव

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में साइबर सुरक्षा के मामले में देशवासियों को सतर्क रहने की सलाह दी थी। उन्होंने डिजिटल अरेस्ट से बचने के लिए लोगों से ‘रुको-सोचो-एक्शन लो’ का मंत्र अपनाने की अपील की थी। उनका कहना था कि लोग साइबर फ्रॉड के प्रति जागरूक रहें और किसी भी अनजान लिंक पर क्लिक करने से पहले सोचें। प्रधानमंत्री ने लोगों को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सतर्कता बरतने की सलाह दी है।

डिजिटल अरेस्ट और साइबर फ्रॉड के खिलाफ देशव्यापी अभियान

भारत सरकार ने साइबर सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं, जिसमें डिजिटल अरेस्ट के मामलों को सुलझाने के लिए एक विशेष अभियान चलाना शामिल है। इस अभियान का उद्देश्य साइबर अपराधियों की पहचान करना और उन्हें कड़ी सजा दिलाना है। गृह मंत्रालय के आंतरिक सुरक्षा सचिव इस अभियान को मॉनिटर कर रहे हैं, और उन्होंने सभी राज्यों की पुलिस से भी समन्वय बढ़ाने को कहा है।

साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, डिजिटल अरेस्ट और साइबर फ्रॉड से निपटने के लिए सरकार को अधिक कठोर कानूनों और त्वरित न्यायिक प्रक्रियाओं की जरूरत है। साथ ही, डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर काम करने वाली कंपनियों को भी अपनी सुरक्षा प्रणाली को मजबूत करने की आवश्यकता है।

ग्लोबल साइबर क्राइम पर कड़ी कार्रवाई

दुनिया भर में साइबर अपराधियों के नेटवर्क लगातार मजबूत हो रहे हैं। यूरोपीय संघ ने हाल ही में दुनिया के सबसे बड़े मैलवेयर प्लेटफॉर्म के सर्वरों को बंद किया, जो 1,200 से ज्यादा सर्वरों के माध्यम से डेटा चोरी कर रहा था। यह मैलवेयर नाम, पासवर्ड, पते, ईमेल और क्रिप्टो-करेंसी वॉलेट जैसे संवेदनशील डेटा चुराता था। इस डेटा को अपराधी ग्रे-मार्केट में बेचते थे, जिससे वित्तीय धोखाधड़ी होती थी।

भारत में भी इस तरह के नेटवर्क सक्रिय हैं, और सरकार इन नेटवर्कों पर कार्रवाई करने के लिए लगातार काम कर रही है।

सरकार की भविष्य की रणनीति

भारत सरकार के साइबर सुरक्षा विभाग ने आने वाले समय में और भी सख्त कदम उठाने की योजना बनाई है। इस अभियान में:

  • साइबर सुरक्षा पर नए कानून बनाए जाएंगे।
  • विशेष अभियानों के माध्यम से साइबर अपराधियों की पहचान की जाएगी।
  • डिजिटल अरेस्ट और साइबर फ्रॉड की घटनाओं को रोकने के लिए सभी राज्य पुलिस से समन्वय बढ़ाया जाएगा।

गृह मंत्रालय आने वाले समय में इस क्षेत्र में और भी प्रभावी उपायों को लागू करेगा ताकि भारत में साइबर अपराध की घटनाओं में कमी आए और नागरिकों का डिजिटल वातावरण सुरक्षित हो।

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