मोहालीः खालिस्तान टाइगर फोर्स (केटीएफ) के अस्थायी प्रमुख अर्श सिंह गिल उर्फ अर्श डल्ला और उसके सहयोगी गुरजंट सिंह के ट्रायल की कार्यवाही पर कनाडा की ओंटारियो अदालत ने वीरवार को मीडिया कवरेज, प्रसारण और रिपोर्टिंग पर रोक लगा दी है। यह निर्णय कनाडा सरकार की मांग पर लिया गया है। दरअसल, कनाडा सरकार के वकील द्वारा अदालत में दाखिल एक अर्जी दाखिल की गई थी। जिसमें अदालत की कार्यवाही के प्रसारण पर प्रतिबंध की मांग की गई थी। इस अर्जी को ओंटारियो अदालत ने मान लिया है। यह प्रतिबंध तब तक लागू रहेगा, जब तक ट्रायल समाप्त नहीं हो जाता।
इस मामले में एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम के रूप में, भारत ने अर्श डल्ला के प्रत्यर्पण के लिए औपचारिक अनुरोध करने का संकेत दिया है। डल्ला पर भारत में कई गंभीर आपराधिक मामले और आतंकवाद गतिविधियों में शामिल होने आरोप हैं। डल्ला को 2023 में भारतीय गृह मंत्रालय द्वारा आतंकवादी घोषित किया गया था। जुलाई 2023 में भारत ने कनाडाई सरकार से डल्ला की अस्थायी गिरफ्तारी का अनुरोध किया था। हालांकि, उस समय यह अनुरोध खारिज कर दिया गया था। लेकिन अब कनाडा में हुई हालिया गिरफ्तारी ने प्रत्यर्पण की प्रक्रिया को तेज कर दिया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जैसवाल ने कहा- हमने कनाडा में अर्श डल्ला की गिरफ्तारी के बारे में मीडिया रिपोर्ट्स का संज्ञान लिया है।
उसे 10 नवंबर को गिरफ्तार किया गया था, और कनाडाई प्रिंट और दृश्य मीडिया ने इस घटना पर व्यापक रिपोर्टिंग की है। जैसवाल ने बताया कि डल्ला के भारत में लंबित आपराधिक मामलों और कनाडा में उसकी अवैध गतिविधियों में संलिप्तता को ध्यान में रखते हुए भारतीय एजेंसियां प्रत्यर्पण प्रक्रिया को आगे बढ़ाने पर काम कर रही हैं। उन्होंने कहा कि अर्श डल्ला के अपराधों के चलते यह अपेक्षा की जाती है कि उसे भारत लाकर न्याय के कटघरे में खड़ा किया जाएगा। हमारी एजेंसियां हाल की गिरफ्तारी के मद्देनजर प्रत्यर्पण पर जरूरी कार्रवाई करेंगी।
भारत ने 2023 में कनाडा से डल्ला की गिरफ्तारी की मांग की थी। लेकिन कनाडा सरकार ने उस समय इस मांग को खारिज कर दिया था। इसी दौरान भारत ने जनवरी 2023 में कनाडा को डल्ला के संदिग्ध पते, भारत में उसके ट्रांजैक्शन, उसकी संपत्तियों और मोबाइल नंबरों की जानकारी दी थी। भारत ने MLAT संधि (पारस्परिक कानूनी सहायता संधि) के तहत कनाडा से इन जानकारियों को वेरिफाई करने के लिए कहा था। दिसंबर 2023 में, कनाडा के न्याय विभाग ने इस मामले पर भारत से अतिरिक्त जानकारी मांगी थी। भारत ने इसका जवाब इस मार्च में दिया था।