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कोरोना के नए वेरिएंट JN.1 का कहरः इन देशों के बाद भारत में मिले मरीज

अलर्ट मोड पर आया स्वास्थ्य विभाग

नई दिल्ली: जनवरी 2020 के बाद से कोरोनावायरस SARS-CoV-2 के कारण दुनिया भर में COVID-19 महामारी फैल गई थी जिसके कारण दुनियाभर में लाखों की जानें गई थीं। 30 जनवरी 2020 को भारत में कोरोना का पहला मामला सामने आया था। पिछले कुछ समय से इसके मामले सामने नहीं आ रहे थे लेकिन हाल ही में सिंगापुर और हांगकांग जैसे दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों में कोविड के नए वेरिएंट के बढ़ते मामलों ने भारत में भी चिंता बढ़ा दी हैं। दरअसल, कोरोना वायरस ने रूप बदलकर एक बार फिर से दस्तक दे दी है।

कोरोना वायरस JN.1 का नाम सुनते ही हर किसी के जहन में फिर से साल 2020-21 की वो खौफनाक यादें ताजा हो उठती हैं, जिनको सोचने मात्र से ही रूह कांप जाए। एक बार फिर से केरल, तमिलनाडु, महाराष्ट्र में कोरोना मरीज तेजी से बढ़ने लगे हैं। मुंबई के केईएम अस्पतांल में दो कोरोना पॉजिटिव मरीजों की मौत के बाद शहर में सतर्कता बढ़ा दी गई है। स्वास्थ्य विभाग अलर्ट मोड पर है।

आज मुंबई में भी 53 मामले सामने आए हैं। ऐसे में बृहन्मुंबई म्युनिसिपल कारपोरेशन (BMC) ने एशिया के कुछ हिस्सों में बढ़ते मामलों के बावजूद, शांति बनाए रखने और निगरानी जारी रखने का आग्रह किया है। साथ ही नागरिकों को सलाह दी कि अगर कोविड के लक्षण दिखाई दें तो वे मेडिकल हेल्प लें। सिंगापुर और हांगकांग जैसे दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों में कोविड-19 के मामलों में वृद्धि देखी जा रही है जिस कारण वहां के स्वास्थ्य अधिकारी सतर्क रहने और सावधानी बरतने की सलाह दे रहे हैं। नेशन थाईलैंड के अनुसार, 3 मई को समाप्त सप्ताह में हांगकांग में कोविड-19 के 31 गंभीर मामले थे।

सिंगापुर में, स्वास्थ्य मंत्रालय और संचारी रोग एजेंसी ने कहा कि 27 अप्रैल से 3 मई के सप्ताह के लिए कोविड-19 मामलों की अनुमानित संख्या 14,200 थी और उसके पहले के हफ्ते में यह आंकड़ा 11,100 था। प्रेस रिलीज में हांगकांग के हेल्थ प्रोटेक्शन सेंटर के कंट्रोलर एडविन त्सुई ने कहा, ‘सामान्य स्थिति बहाल होने के बाद, हांगकांग ने हर 6 से 9 महीने में कोविड-19 के एक्टिव मामलों की साइकिल देखी है। हमें उम्मीद है कि कोविड-19 की एक्टिविटी का लेवल कम से कम अगले कुछ हफ्तों तक अधिकतम लेवल पर बना रहेगा।’

कोरोना का नया वेरिएंट JN.1 कितना खतरनाक है, ये अब तक साफ नहीं हो सका है। अधिकारियों के मुताबिक, ऐसा कोई सबूत अब तक मिला नहीं है जिससे ये कहा जा सके कि ये वेरिएंट पहले से ज्यादा खतरनाक है या फिर ये ज्यादा तेजी से फैल रहा है। अधिकारियों का कहना है कि कमजोर इम्यूनिटी वालों को थोड़ा संभलकर रहने की जरूरत है। ऐसे लोगों को ये आसानी से अपना निशाना बना सकता है।

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