- मुख्यमंत्री भगवंत मान की पहल के तहत, पंजाब में सहकारी बैंकों ने फसल अवशेष प्रबंधन के लिए किसानों को 80% तक सब्सिडी पर लोन देना शुरू किया। जानें कैसे इस योजना से प्रदूषण कम होगा और किसानों को लाभ मिलेगा।
पंजाब, (चंडीगढ़) 7 अक्टूबर: पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान की अगुवाई में राज्य सरकार ने पराली जलाने से होने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए एक नई और प्रभावी योजना शुरू की है। इस पहल के तहत राज्य के सहकारी बैंकों ने फसल अवशेष प्रबंधन के लिए किसानों को 80% तक सब्सिडी पर लोन प्रदान करना शुरू कर दिया है।
मुख्यमंत्री मान ने इस योजना की घोषणा करते हुए कहा कि इसका मुख्य उद्देश्य पराली जलाने से होने वाले पर्यावरणीय प्रदूषण को नियंत्रित करना और किसानों को आधुनिक मशीनरी उपलब्ध कराना है, जिससे फसल अवशेष का सही प्रबंधन हो सके। यह योजना चंडीगढ़ स्थित राज्य सहकारी बैंक और जिले के 802 सहकारी बैंक शाखाओं के माध्यम से संचालित होगी। उन्होंने कहा कि इस योजना के तहत किसान आसान और सरल प्रक्रिया के माध्यम से इसका लाभ उठा सकते हैं।
कौन कर सकता है लाभ प्राप्त? मुख्यमंत्री ने बताया कि गांवों में स्थित प्राथमिक कृषि सहकारी समितियां (PACs) और अन्य प्रगतिशील किसान इस योजना का लाभ ले सकते हैं। इसके अलावा, PACs और अन्य इकाइयों को कृषि उपकरणों की खरीद पर 80% तक की सब्सिडी मिलेगी, जबकि प्रगतिशील किसानों को 50% तक की सब्सिडी उपलब्ध कराई जाएगी। इससे किसान बेलर्स, सुपरसीडर्स जैसे उपकरण खरीद कर फसल अवशेष का बेहतर प्रबंधन कर सकेंगे।
योजना का प्रभाव:
भगवंत मान ने इस पहल को पर्यावरण संरक्षण के लिए एक मील का पत्थर बताया और उम्मीद जताई कि यह योजना किसानों को पराली जलाने के बजाय फसल अवशेष प्रबंधन की ओर प्रेरित करेगी। इसके साथ ही, इस योजना से जैव-ऊर्जा संयंत्रों और 2G एथेनॉल फैक्ट्रियों के लिए एक मजबूत आपूर्ति श्रृंखला स्थापित की जाएगी, जिससे किसानों को अतिरिक्त आय का स्रोत मिलेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस योजना के तहत पावर जनरेशन यूनिट्स, कम्प्रेस्ड बायोगैस (CBG) प्लांट्स, और जैव-ईंधन उद्योग को महत्वपूर्ण लाभ मिलेगा। फसल अवशेषों को उद्योगों तक पहुंचाने के लिए एक क्लस्टर-आधारित आपूर्ति श्रृंखला स्थापित की जाएगी, जिसमें किसान पराली का संग्रहण, भंडारण और उद्योगों की आवश्यकताओं के अनुसार इसे उपलब्ध कराएंगे।
मुख्यमंत्री ने बताया कि लोन की पुनर्भुगतान अवधि पांच साल होगी, जिसे हर साल 30 जून और 31 जनवरी को 10 अर्धवार्षिक किस्तों में चुकाया जा सकेगा।