सिरमौरः शिलाई, गिरीपार और शिमला को जोड़ने वाला नेशनल हाईवे-707 पर एक बार फिर संकट के बादल आए हुए हैं। खासकर कच्ची ढांग का इलाका, जो हर साल बरसात में जानलेवा साबित होता है, इस बार भी संकट के मुहाने पर खड़ा है। बरसात की पहली ही फुहारों के बाद सड़क किनारे की सुरक्षा दीवारें ढहनी शुरू हो चुकी हैं। ऐसे में क्षेत्र में भूस्खलन का खतरा गंभीर रूप से बढ़ गया है।
यह वही इलाका है जहां बारिश के चलते हर साल 100 से अधिक गांवों का संपर्क कट जाता है और लोगों को अपनों तक पहुंचने के लिए संघर्ष करना पड़ता है। इस बार सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि जहां पहले मौसम बिगड़ते ही प्रशासन और निर्माण एजेंसियां अलर्ट मोड पर आ जाती थीं, अबकी बार न कोई मशीनरी तैनात है, ना कोई मजदूर नजर आ रहे हैं। सिर्फ कैट लगाकर खानापूर्ति की जा रही है और “वर्क इन प्रोग्रेस” के बोर्ड लगाकर जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ा जा रहा है। इस दौरान NH-707 पर साफ देखा जा सकता है कि पहाड़ धीरे-धीरे दरक रहा है। मलबा गिरना शुरू हो चुका है, और हर गुजरती गाड़ी खतरे के साए में है।
पुरानी यादें आज भी लोगों को डराती हैं, जब सड़क टूटने पर गर्भवती महिलाओं को ट्रैक्टरों पर लादकर अस्पताल पहुंचाया गया था। स्कूलों में जाने वाले बच्चों की पढ़ाई छूट गई, और दफ्तर-फैक्ट्रियों में काम करने वाले लोगों को कई किलोमीटर पैदल सफर करना पड़ता था। कच्ची ढांग अब लापरवाही और खतरे का प्रतीक बन चुकी है। सरकार और प्रशासन को इस और ध्यान देना चाहिए और बड़ा हादसा होने से पहले सड़क को दुरुस्त करवाना चाहिए।