नई दिल्लीः केंद्र सरकार ने घरेलू स्तर पर उत्पादित कच्चे तेल पर विंडफॉल टैक्स घटाने का ऐलान किया है। एक आधिकारिक नोटिफिकेशन के मुताबिक, पेट्रोलियम कंपनियों की ओर से घरेलू लेवल पर बनाए जाने वाले कच्चे तेल पर विंडफॉल टैक्स को 11,000 रुपये प्रति टन से घटाकर अब 9,500 रुपये प्रति टन कर दिया गया है। यह कटौती बुधवार 2 नवंबर 2022 से लागू हो गई है। घरेलू स्तर पर उत्पादित क्रू़ड की बिक्री पर विंडफॉल टैक्स में कटौती ऐसे समय में की गई है, जबकि ग्लोबल ऑयल प्राइस 95 डॉलर प्रति बैरल के करीब बना हुआ है।
डीजल-जेट फ्यूल के निर्यात पर टैक्स बढ़ा
कच्चे तेल पर विंडफॉल टैक्स में कटौती करने के साथ ही केंद्र सरकार ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ती तेल की कीमतों के मद्देनजर डीजल और विमान ईंधन (ATF) के निर्यात पर ड्यूटी बढ़ाने की भी घोषणा की है। एक ओर जहां डीजल के निर्यात पर टैक्स 12 रुपये से बढ़कर 13 रुपये प्रति लीटर हो गया है, तो वहीं एविएशन टर्मबाइन फ्यूल (ATF) के निर्यात पर एक्साइज ड्यूटी को 3.5 रुपये प्रति लीटर से बढ़ाकर 5 रुपये प्रति लीटर कर दिया गया है।
क्यों लगता है विंडफॉल प्रॉफिट टैक्स?
ग्लोबल मार्केट में क्रूड ऑयल और पेट्रोल, डीजल, एटीएफ जैसे रिफाइनरी उत्पादों के दाम समय के साथ घटते-बढ़ते रहते हैं। अगर ग्लोबल मार्केट में डीजल, पेट्रोल और एटीएफ आदि के दाम घरेलू बाजार से ज्यादा हों, तो रिफाइनरियां निर्यात बढ़ाने लगती हैं, ताकि उन्हें ज्यादा मुनाफा हो। सरकार इस पर लगाम लगाने और घरेलू बाजार में उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए विंडफॉल प्रॉफिट टैक्स लगा देती है। यही हिसाब क्रूड ऑयल के मामले में भी लागू होता है। वहीं जब ग्लोबल मार्केट में इनके भाव कम हो जाते हैं, तो कंपनियां खुद ही एक्सपोर्ट कम करने लगती हैं। ऐसी स्थिति आने पर सरकार विंडफॉल टैक्स को कम करने या हटाने का फैसला लेती है।
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