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PMO का अधिकारी बनकर चिकित्सक को धमकाने वाले अधिकारी के परिसरों पर CBI की दबिश

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नई दिल्ली: केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने अहमदाबाद के रहने वाले मयंक तिवारी के परिसरों की तलाशी ली। उस पर खुद को प्रधानमंत्री कार्यालय का उच्चस्तरीय अधिकारी बताकर कथित रूप से एक नेत्र अस्पताल समूह पर दबाव बनाने की कोशिश करने का आरोप है। सीबीआई ने बताया कि तलाशी के दौरान कई दस्तावेज जब्त किए गए और उनकी जांच की जा रही है। हालांकि, अबतक तिवारी को गिरफ्तार नहीं किया गया है। अधिकारियों के मुताबिक, आरोप है कि नेत्र अस्पतालों की शृंखला ‘डॉ अग्रवाल्स’ ने इंदौर के अस्पताल के संचालक दो चिकित्सकों से एक करार किया था, जिसके लिए 16 करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान किया जाना था। इसके बाद इंदौर के अस्पताल ने कथित रूप से समझौते की शर्तों का उल्लंघन करना शुरू कर दिया, जिसके बाद विवाद शुरू हो गया और डॉ अग्रवाल्स के प्रवर्तक अपना पैसा वापस लेकर करार खत्म करना चाहते थे।

मामला हाईकोर्ट गया, जिसने एक मध्यस्थ की नियुक्ति की। मध्यस्थ ने अंतरिम निर्णय में इंदौर के अस्पताल से चार सप्ताह में 16.43 करोड़ रुपये जमा करने को कहा। इसी दौरान डॉ. अग्रवाल्स के मालिकों को तिवारी की ओर से फोन कॉल और संदेश आने लगे। इसमें उनसे कथित बकाया को भूलकर मामले का समाधान करने को कहा गया। जब प्रधानमंत्री कार्यालय को इस बात का पता चला तो उसने तत्काल सीबीआई से जांच करने को कहा। पीएमओ ने सीबीआई जांच के संदर्भ में कहा कि प्रथम दृष्टया यह पीएमओ का अधिकारी फर्जी तरीके से बनकर पीएमओ के नाम का दुरुपयोग करने का मामला है, क्योंकि प्रधानमंत्री कार्यालय में न तो यह व्यक्ति काम करता है और ना ही यह पद है।

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