वेकूंवरः कनाडा में देश का अगला प्रधानमंत्री चुनने के लिए वोट डाले गए हैं। चुनाव में मार्क कार्नी के नेतृत्व वाली लिबरल पार्टी और पियरे पोलीवरे की कंजर्वेटिव पार्टी में मुकाबला माना जा रहा है। कनाडा के आम चुनाव में प्रधानमंत्री मार्क कार्नी की लिबरल पार्टी बहुमत की ओर बढ़ती नजर आ रही है। लिबरल पार्टी 167 सीटों पर आगे चल रहे हैं जबकि कंजर्वेटिव पार्टी 145 सीटों पर आगे है। ब्लॉक क्यूबेकॉइस पार्टी 23 सीटों पर, एनडीपी 7 तो ग्रीन पार्टी एक सीट पर आगे चल रही है। एनडीपी ने 343 सीटों पर चुनाव लड़ा था। पार्टी ने पिछले चुनाव में 24 सीटें जीती थीं। इसे कनाडा में खालिस्तान के समर्थकों के लिए बड़े झटके के तौर पर देखा जा रहा है। वहीं खालिस्तानी नेता जगमीत सिंह चुनाव हार गए हैं। कनाडा का ये चुनाव ऐसे समय हुआ है, जब देश में अमेरिका से एक तनाव का माहौल है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने लगातार कनाडा को अमेरिका में मिलाकर उसे देश का 51वां राज्य बनाने की बात कही है। इसका चुनाव पर भी बड़ा असर पड़ने की बात मानी गई है। न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी (NDP) के नेता जगमीत सिंह बर्नाबे सेंट्रल सीट से चुनाव में हार गए हैं। उन्होंने अपनी हार स्वीकार करते हुए एनडीपी के नेता के तौर पर इस्तीफा दे दिया है। उनकी एनडीपी पार्टी 7 सीटों पर आगे है। इस चुनाव में एनडीपी का जनाधार खिसकने से पार्टी का राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा भी छीन गया है। जगमीत ने हार स्वीकार करते हुए कहा कि मैं निराश हूं कि हम अधिक सीटें नहीं जीत सके। लेकिन हम हमारी गतिविधियों को लेकर निराश नहीं हूं। मैं हमारी पार्टी को लेकर आशावादी हूं। मैं जानता हूं कि हम हमेशा डर के बजाए उम्मीद को चुनेंगे। वह 8 साल से एनडीपी के प्रमुख थे। उन्होंने कहा कि लेकिन हमें केवल तभी हराया जा सकता है जब हम उन लोगों पर विश्वास कर लें जो कहते हैं कि हम बेहतर कनाडा का सपना कभी नहीं देखेंगे। मैं हमेशा संघर्षों के बजाए उम्मीद को चुनता हूं।
उधर, प्रधानमंत्री मार्क कार्नी की लिबरल पार्टी एक बार फिर सरकार बनाने जा रही है। कार्नी ने अपने समर्थकों को संबोधित करते हुए कहा कि कनाडा की संप्रभुता से समझौता नहीं किया जाएगा। जब मैं राष्ट्रपति ट्रंप के साथ बैठूंगा, तो यह दो संप्रभु राष्ट्रों के बीच भविष्य के आर्थिक और सुरक्षा संबंधों पर चर्चा करने के लिए होगा। उन्होंने कहा कि हम इतिहास के एक महत्वपूर्ण मोड़ पर हैं। अमेरिका के साथ हमारा पुराना रिश्ता, जो धीरे-धीरे बढ़ते एकीकरण पर आधारित था, अब खत्म हो गया है। अमेरिका द्वारा स्थापित खुली वैश्विक व्यापार प्रणाली जिस पर कनाडा द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से निर्भर रहा है। वह अब खत्म हो गई है। हम अमेरिकी विश्वासघात के झटके से उबर चुके हैं लेकिन हमें सबक नहीं भूलना चाहिए।