नई दिल्ली: 21वीं सदी की इस शुरुआत में जहां दोस्ती चाय की दुकान पर घंटो तक बाते करना, पार्क में एक-दूसरे के साथ टहलकर दुख की बातें करना या स्कूल-कॉलेज की कॉमन यादें हुआ करती थी। ऐसे में आज दोस्ती की परिभाषा ही तेजी से बदल चुकी है। अब इंसान न सिर्फ इंसानों से बल्कि एआई असिस्टेंट्स के साथ भी बात कर रहा है। अपने दिल की बातें कर रहा है और अकेलेपन को कम करने का यह आज के समय में जरिया बन चुका है।
कई रिपोर्ट्स में यह बताया गया है कि एआई आज सिर्फ जानकारी ही नहीं देता बल्कि भावनाओं को समझने और जवाब देने की क्षमता भी रखता है। चैट जीपीटी जैसे मॉडलों के साथ यूजर्स अब रिलेशनशिप, मानसिक तनाव, करियर से जुड़े हुए सवाल यहां तक की अकेलेपन की बातें भी शेयर कर रहे हैं। उन्हें तुरंत बिना किसी परेशानी के अपने सवालों का जवाब मिलता है।
70% से ज्यादा किशोरों ने किया AI Assitant का इस्तेमाल
नो टेकी नाम की रिपोर्ट में यह बताया गया है कि 70% से ज्यादा किशोरों ने कम से कम एक बार एआई अस्टिटेंट जैसे रिपलिका (Replica) या ऐसे तमाम एआई का इस्तेमाल किया है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 52% लोग इसका नियमित रुप से इस्तेमाल करते हैं। वहीं 31% किशोरों के अनुसार, एआई चैट बराबर या उससे बेहतर महसूस होता है जितना असली दोस्त से संवाद करना।
इस बात से यह साफ हो जाता है कि एआई आज सिर्फ जानकारी देने वाला ही नहीं बल्कि भावनाओं को समझने और जवाब देने की क्षमता भी रखता है। चैटजीपीटी जैसे मॉडलों के साथ यूजर्स अब रिलेशनशिप, मानसिक तनाव, करियर से जुड़े सवाल यहां तक कि अकेलापन भी शेयर कर देते हैं। ऐसा इसलिए भी है क्योंकि उन्हें साथ में ही अपने सवालों का जवाब मिल जाता है।