चंडीगढ़ः पंजाब यूनिवर्सिटी से मान्यता प्राप्त कालेजों की फीस में प्रति वर्ष फीस बढ़ोतरी होती है। वहीं इस बार ग्रांट इन एड संकाय की साढ़े सात जबकि सेल्फ फाइनेंस कोर्स की फीस में 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। जिससे स्टूडेंट्स को बड़ा झटका लगा है। बताया जा रहा है कि इस बार हुई फीस बढ़ोत्तरी में सीनेट बाडी की मंजूरी नहीं ली गई है। कहा जा रहा है कि10 जून को पंजाब यूनिवर्सिटी ने मान्यता प्राप्त कालेजों को इसकी जानकारी दी।
दरअसल, पंजाब के 190 कालेजों में 25 दिनों से चल रही और शहर के 11 कालेजों में 13 जून से शुरु होने वाली दाखिला प्रक्रिया में आखिरकार 10 जून को पीयू ने फीस बढ़ोतरी पर निर्णय लिया। इस बार हुई फीस बढ़ोत्तरी में सीनेट बाडी की मंजूरी नहीं है। सिंडिकेट बाडी द्वारा आचार संहिता के बीच लिए गए फैसले को ही 10 जून को पंजाब यूनिवर्सिटी ने मान्यता प्राप्त कालेजों को जारी किया है। उल्लेखनीय है कि पंजाब यूनिवर्सिटी से मान्यता प्राप्त कालेजों की फीस में प्रति वर्ष फीस बढ़ोतरी होती है। यह बढ़ोतरी सिंडिकेट और सीनेट बाडी की मंजूरी के बाद कालेजों को जारी होती है और उसी के अनुसार विद्यार्थियों से फीस वसूल होती है।
पंजाब यूनिवर्सिटी में वर्ष 2023 में नेशनल एजुकेशन पालिसी 2020 शुरु हुई थी और उससे मान्यता प्राप्त 200 कालेजों में इस वर्ष से इसे शुरु किया जा रहा है। एनईपी 2020 शुरु होने के बाद चुनाव से चुनी जाने वाली सिंडिकेट और सीनेट बाडी का अंत हो जाएगा और उसके स्थान पर बोर्ड आफ गवर्नेंस स्थापित होगी। लोकसभा चुनाव के कारण चांसलर बोर्ड ऑफ गवर्नेंस की घोषणा नहीं कर सके हैं वहीं पीयू वीसी ने आचार संहिता के चलते उसे बुलाया नहीं है।
पीयू में सिंडिकेट बाडी गठन का मामला वर्ष 2022 से पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट में चल रहा है। वर्ष 2020 में चांसलर ने नोटिफिकेशन जारी करते हुए स्पष्ट किया था कि सिंडिकेट चुनाव में 60 वर्ष से ज्यादा के प्रोफेसर मतदान नहीं कर सकेंगे। चांसलर के फैसले को पीयू फैकल्टी और सिंडिकेट सदस्यों ने हाई कोर्ट में चुनौती दी है जिस पर सुनवाई चल रही है। हाईकोर्ट में मामला होने के कारण सिंडिकेट बाडी की सारी शक्तियां वाइस चांसलर के पास है। इसी प्रकार से अगस्त 2024 में सीनेट का कार्यकाल भी खत्म हो रहा है। चुनाव आचार संहिता में बीच सीनेट बैठक नहीं बुलाई गई और न ही इसे भविष्य में बुलाने की प्लानिंग है।
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