चंडीगढ़ः केंद्र व पंजाब सरकार की नीतियों और कोयला माफिया की वजह से राज्य के ईंट भट्ठों पर संकट गहरा गया है। मौजूदा समय में पंजाब में 2800 ईंट भट्ठे हैं। इनमें से 1500 भट्ठे बंद हो गए हैं, जबकि अन्य बंद होने की कगार पर हैं। इसकी मुख्य वजह कोयला की कीमतों में आठ हजार रुपये प्रति टन तक इजाफा होना है। पंजाब ईंट भट्ठा एसोसिएशन ने केंद्र व राज्य सरकार से हस्तक्षेप कर कोयले के दाम में कमी लाने का आग्रह किया है।
दरअसल, कोयला कारोबार पर पांच से छह बड़े कारोबारियों का नियंत्रण हो गया है। इन कारोबारियों ने पूल बना कर कोयले के दाम बढ़ा दिए हैं। वे मनचाहे दाम पर कोयला बेच रहे हैं। कोयले के दाम प्रति टन 13 हजार रुपये से बढ़ कर 21 हजार रुपये प्रति टन तक बढ़ गए हैं। वहीं, ट्रांसपोर्टरों ने भी ढुलाई में 500 रुपये की वृद्धि कर दी है। इससे निर्माण क्षेत्र पर काफी मार पड़ रही है। अब भट्ठा मालिक जल्द ही ईंटों के दाम बढ़ाने की घोषणा कर सकते हैं।
कहा जा रहा है कि केंद्र सरकार ने ईंट भट्ठा उद्योग पर जीएसटी पांच प्रतिशत से बढ़ाकर 12 प्रतिशत कर दिया है। इस टैक्स के साथ स्टेट टैक्स भी है। इससे दोहरी मार पड़ रही है। वहीं राजस्थान से आ रही ईंट भी पंजाब के भट्ठा मालिकों की कमर तोड़ रही है। राजस्थान से बिना बिलों के ओवरलोड ईंट के ट्रक पंजाब में प्रवेश कर रहे हैं। वहां की ईंट पंजाब के मुकाबले 300 से 400 रुपये प्रति हजार सस्ती है। पंजाब सरकार ने शर्त रखी है कि ईंट भट्ठों में कुल ईंधन में से 20 प्रतिशत पराली का इस्तेमाल किया जाए। बहुत से ईंट भट्ठा मालिक इस शर्त को भी पूरा नहीं कर पा रहे हैं। इसके अलावा फ्लाई ऐश को लेकर भी नियम सख्त कर दिए गए हैं।
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