मोहालीः पंजाब के किसानों ने अब केंद्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने का ऐलान किया है। इस दौरान किसान नेता का कहना है कि वह चंडीगढ़ में 18 जनवरी से अनिश्चितकालीन के लिए धरना लगाएंगे। मामले की जानकारी देते हुए किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने किसान भवन में यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इस संघर्ष में 5 किसान यूनियन शामिल होने जा रही हैं, संयुक्त किसान मोर्चे को भी इस मोर्चे में शामिल किया जाएगा। इस दौराना किसान नेताओं ने पंजाब सरकार द्वारा गन्ने के बढ़ाए दाम को गलत बताया। उनकी दलील थी कि पंजाब में गन्ने की लागत सबसे अधिक है। सरकारी एजेंसी का कहना है कि गन्ने की 470 लागत पड़ती है जबकि सरकार मात्र 11 रुपये बढ़ाकर खुशी जताने की बात कर रही है।
किसान नेता अपने आंदोलन के लिए जगह मुहैया कराने के लिए 8 जनवरी को चंडीगढ़ प्रशासन के अधिकारियों से मिलेंगे। किसान संगठनों का आरोप है कि केंद्र में नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली एनडीए सरकार सत्ता का दुरुपयोग कर पंजाब से पानी दूसरे प्रदेशों में भेजने के लिए दबाव बना रही है। 18 जनवरी से पहले किसान संगठनों की ओर से पंजाब के गांवों में आंदोलन की जानकारी पहुंचाने के लिए एक लाख पोस्टर भी बांटे जाएंगे। किसान संगठन इस बार पानी के साथ-साथ चंडीगढ़ के फेडरल स्ट्रक्चर का मुद्दा भी उठाएंगे।
पंजाब में गिरते भूजलस्तर को लेकर भी इस प्रदर्शन में आवाज उठाई जाएगी। चंडीगढ़ के सेक्टर 35 स्थित किसान भवन में शनिवार को 5 अलग-अलग किसान संगठनों की बैठक में यह फैसला लिया गया। इस मीटिंग में भारतीय किसान यूनियन (BKU) की तरफ से बलबीर सिंह राजेवाल, ऑल इंडिया किसान फेडरेशन की तरफ से प्रेम सिंह, किसान संघर्ष कमेटी की तरफ से कमलप्रीत पन्नू, भारतीय किसान यूनियन मानसा की तरफ से भोग सिंह और आजाद किसान संघर्ष कमेटी की तरफ से हरजिंदर सिंह टांडा के साथ कई अन्य किसान नेताओं ने हिस्सा लिया। बैठक में आंदोलन से जुड़ी तैयारियों पर चर्चा की गई। इन पांचों संगठनों की अब तैयारियों की समीक्षा के लिए 23 दिसंबर को फिर मीटिंग होगी।
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