सिर्फ कागजों में हो रहा 43 लाख सालाना मेनटेन का काम
हकीकत में 10 रुपये की भी नहीं हुई मेंटेनेंस
जालंधर/(अनिल वर्मा): नगर निगम द्वारा पूरे शहर के विभिन्न वार्डों के रखरखाव तथा ड्वैल्पमैंट के लिए हर साल 400 से 500 करोड़ रुपये का बजट पास किया जाता है जोकि काफी हद तक नजर भी आता है इस तरह नगर निगम जालन्धर की मेन बिल्डिंग के रखरखाव का सालाना बजट 43 लाख रुपये है और यह बजट पिछले कई सालों से इसी तरह से फाईलों मे पास होता है और कथित फर्जी बिलों के आधार पर चहेते ठेकेदारों को पेमेंट भी रलीस हो जाती है मगर हकीकत में बिल्डिंग के रखरखाव में 10 रुपये का काम भी नहीं हुआ। इस खेल में कई अधिकारी तथा ठेकेदार फाईलों में ही इस घोटाले को अंजाम दे रहे हैं।
साल में 10 महीने खराब रहती है चारों लिफ्टें
इस बिल्डिंग में कुल 4 लिफ्टें हैं जोकि 2 आम जनता तथा 2 अधिकारियों के लिए बनाई गई है मगर आम जनता के लिए बनाई गई दोनो लिफ्टें साल में 10 महीने खराब रहती है और इन चारों लिफ्टों के अंदर गंदगी का यह आलम है कि अंदर गुटखे की थूंक और मकड़ी के जाले लगे हुए हैं इन लिफ्टों में न ही पंखा है और नही अंदर लाईट का कोई प्रबंध है। मगर हर साल इन लिफ्टों की मेनटेन का बिल जरूर बनता है और मिलीभगत से उसे मंजूर कर पेमेंट भी रिलीज कर दी जाती है। लिफ्टें खराब होने का सबसे बड़ा दुख इस दफ्तर में काम करवाने आते उन बुर्जगों का होता है जिन्होंने तीसरी मंजिल पर बुढ़ापा पैंशन, प्राप्टी टैक्स, तहबाजारी तथा वाटर एंड सीवरेज के काम करवाने होते हैं उन्हे मजबूरन सीढ़ीयों के चढ़कर ऊपर जाना होता है जिससे कोई हादसा होने का डर बना रहता है।
नगर निगम दफ्तर के अंदर हैं शहर के सबसे गंदे और बदबूदार बाथरुम

इस बिल्डिंग को साल 2011 में चालू किया गया था और उसी दौरान इस बिल्डिंग में बनाए गए बाथरुम के अंदर टॉयलेट सीट, यूरीनल लगाए गए थे जोकि 14 सालों दौरान बुरी तरह से टूट चुके हैं या फिर इस्तेमाल के लायक नहीं रहे जिन्हे मेनटेन करने की बजाए बंद तक कर दिया गया है। शहर में सबसे गंदे बाथरुम पहले रेलवे स्टेशन तथा बस स्टैंड के अंदर थे मगर अब उन्हे अच्छे ठेकेदारों द्वारा मेनटेन किया जा रहा है और शहर के सबसे गंदे बाथरुम का खिताब अब नगर निगम जालन्धर के अंदर भी देखे जा सकते हैं। जहां साफ सफाई तो दूर की बात है यहां नलों में पानी तक नहीं आता और सारे परिसर में बाथरुम की बदबू फैली रहती है। सुबह ड्यूटी ज्वाईन करने से पहले सभी विभागों के अधिकारी इन्हे गंदे बाथरुम के आगे से गुजर कर अपने दफ्तरों में बैठते हैं।

दरवाजे खिड़कियों के शीशे टूटे, लबालब भरे रहते हैं डस्टबिन

हालात इस कदर बदतर हो चुके हैं कि ग्राउंड फ्लोर से लेकर चौथी मंजिल तक ज्यादातर खिड़कियों और दरवाजों के शीशे टूट कर गिर चुके हैं और कई जगह तो दरवाजे ही उखड़ चुके हैं मगर यह सब उन अधिकारियों को नजर नहीं आता जिनके कंधों पर इनकी मेनटेनस का दारोमदार है। इसे साथ इन परिसर में रखे गए सभी डस्टबिन हर वक्त लबालब भरे रहते हैं जिनसे निगम परिसर की तस्वीर और भी गंदी हो जाती है। यहा कुछ नंबरबाजों द्वारा सारी सफाई का काम सिर्फ कमिशनर के दफ्तर के आसपास ही किया जाता है तांकि बिल क्लियर करवाने के लिए कोई दिक्कत न हो सकते।
