पहले ही दिन से कामगार जब अपने निवास स्थान से ड्यूटी पर आता है और ड्यूटी करने के बाद जब अपने निवास स्थान पर वापस जाता है तो इस पूरी अवधि के दौरान यदि बीमित दुर्घटनाग्रस्त होता है तो उसे पूर्ण उपचार निशुल्क उपलब्ध कराया जाता है तथा उस मामले को रोजगार चोट के रूप में माना जाता है और अंग भंग होने आजीन पेंशन मिलती है तथा मृत्यु की दशा में उनके आश्रितों को आजीवन पेंशन मिलती है। ईपीएस के इंफ्रोस्मेट आफिसर दीपक शर्मा ने कहा कि ईपीएफ में पंजीकृत कर्मचारी को मृत्यु के मामले में ईडीएलआई योजना के तहत 2 लाख 50 हजार रुपये से 4 लाख तक की राशि एक मुश्त बीमा की रूप में दी जाती है।
उन्होंने यह भी कहा कि कामगार को आवास निर्माण, आवास मुरम्मत, शादी, बच्चों की पढाई व बीमारी की दशा में अग्रिम राशि देने का प्रावधान है और कर्मचारी अपना ईपीएफ निकलवाने के लिए अपनी नौकरी छोड़ कर दोबारा नौकरी करने के लिए प्रयास न करें। उससे उनकी पेंशन में बहुत फर्क पड़ता है। श्रम अधिकारी सुरेंद्र बिष्ठ ने कहा कि सरकार ने असगंठित मजदूरों के लिए बहुत ही लाभकारी योजना चलाई है। जो कि 18 से 60 साल तक के कामगारों पर लागू है। तथा एक साल में कुल 90 दिन विभिन्न मालिकों के अधीन काम करने पर उन्हें सभी लाभ मिलेंगे। जिसमें मृत्यु हित लाभ, दुर्घटना हितलाभ, दाह संस्कार हितलाभ, संतान शिक्षा हितलाभ, प्रसुती हितलाभ आदि मिलता है।
देवव्रत यादव ने कहा कि कोई भी कामगार जो उद्योग में काम करता है तथा ईसआईसी में पंजीकृत है। यदि वह अवकाश पर जाता है तो अवकाश का समय तथा गंतव्य स्टेशन के साथ प्रबंधन से छुट्टी स्वीकृत करा कर जाएं। जिससे उनके जाते समय या आते समय होने वाली दुर्घटनाओं को रोजगार चोट के रूप में गिना जा सके तथा पेंशन का हितलाभ मिल सके। पीएफ बार निकलवाने से परहेज किया जाए। जिससे मजदूर को सेवानिवृति के समय मिलने वाली पेंशन पूर्ण रूप में मिल सके। भारतीय मजदूर संघ के राज्य उद्योग प्रभारी मेला राम चंदेल, जिला सचिव राजू भारद्वाज, खेमराज विक्की, एटक के जिला अध्यक्ष सतीश शर्मा, इंटक के संयुक्त सचिव राजन गोयल, भूपेंद्र, कमलेश राणा आदि उपस्थित रहे।
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