कांगड़ाः हिमाचल प्रदेश में बुधवार को मौसम साफ रहने के बावजूद लोगों की दुष्वारियां कम नहीं हो रहीं। कांगड़ा जिले में पौंग बांध का जलस्तर खतरे के निशान से तीन फीट ऊंचा पहुंच चुका है। पौंग बांध से ब्यास नदी में छोड़े जा रहे पानी के कारण फतेहपुर और इंदौरा विधानसभा क्षेत्रों में बाढ़ जैसे हालात हो गए हैं। वहीं देर रात अचानक ब्यास नदी का जलस्तर बढ़ने से अरनी यूनिवर्सिटी, इंदौरा का परिसर डूब गया। यूनिवर्सिटी में सैकड़ों छात्र-छात्राएं और स्टाफ फंस गए। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए एसडीएम इंदौरा सुरेन्द्र ठाकुर ने एनडीआरएफ से मदद मांगी।
एनडीआरएफ की टीम तुरंत मौके पर पहुंची और कठिन हालात के बीच 412 विद्यार्थियों और 15 स्टाफ सहित कुल 427 लोगों को सुरक्षित निकाला। यह रेस्क्यू ऑपरेशन रात 2:05 बजे तक चला। अगले दिन 27 अगस्त को भी टीम ने अभियान जारी रखा और यूनिवर्सिटी परिसर से 26 और लोगों में 19 पुरुष, 7 महिलाएं को सुरक्षित बाहर लाया। इस ऑपरेशन की कमान ललित मोहन सिंह, डिप्टी कमांडेंट 14वीं बटालियन एनडीआरएफ ने संभाली।
इसी दौरान इंदौरा उपमंडल के मंड और सनोअर क्षेत्रों में बाढ़ से फंसे 15 ग्रामीणों 8 महिलाएं, 4 पुरुष और 3 बच्चों को भी टीम ने सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया।सोलन जिले के दून विधानसभा क्षेत्र की राजकीय प्राथमिक पाठशाला शेरला का भवन भारी वर्षा व जमीन धंसने से ध्वस्त हो गया। कसौली के अंतर्गत गढ़खल-गुनाई वाया मध्याना सड़क गोड़ती के पास भूस्खलन से 100 मीटर गहरी खाई बन गई और सड़क धंसने का खतरा बना है।
सिरमौर जिले की राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला बाड़थल मधाना के भवन से सात फीट दूर जमीन धंस गई है। इससे भवन गिरने का खतरा है। शिमला जिले में सड़कें बाधित होने से सब्जी मंडी में फूलगोभी और मटर की फसल नहीं पहुंची। प्रदेश में दो राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच) सहित 582 सड़कें बंद हैं। कुल्लू में एनएच-305 और मंडी में एनएच-तीन बंद हैं। प्रदेश में 1155 ट्रांसफार्मर व 346 पेयजल योजनाएं ठप पड़ी हैं।