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क्या आप भी शिशु को शहद पिला रहे हैं? हो जाएं सतर्क!

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Health: यह बात पूरी तरह सच है कि शहद को हम अक्सर एक प्राकृतिक और हेल्दी खाद्य पदार्थ मानते हैं, लेकिन अगर इसे छोटे बच्चों को दिया जाए, तो यह उनकी सेहत के लिए गंभीर खतरा बन सकता है। खासतौर पर एक साल से कम उम्र के बच्चों को शहद देना कभी भी सुरक्षित नहीं होता। बहुत से माता-पिता यह सोचकर शहद चटा देते हैं कि यह खांसी-जुकाम में फायदेमंद होगा या पोषण देगा, लेकिन डॉक्टरों की राय इससे अलग है।

दरअसल, शहद में कभी-कभी क्लोस्ट्रीडियम बोटुलिनम (Clostridium botulinum) नामक बैक्टीरिया के बीजाणु पाए जा सकते हैं। यह बैक्टीरिया बच्चों के अपरिपक्व पाचन तंत्र में सक्रिय होकर इंफैंट बोटुलिज़्म (Infant Botulism) नाम की गंभीर बीमारी पैदा कर सकता है। इस स्थिति में बच्चे की मांसपेशियाँ कमजोर पड़ने लगती हैं, सांस लेने में तकलीफ होती है और कभी-कभी जानलेवा स्थिति भी बन सकती है।

डॉक्टरों की सख्त सलाह है कि 1 साल से छोटे बच्चों को किसी भी हालत में शहद नहीं देना चाहिए। उनकी पाचन प्रणाली इतनी विकसित नहीं होती कि वह इन बैक्टीरिया से लड़ सके। हालांकि, एक साल के बाद बच्चों को थोड़ा-थोड़ा शहद दिया जा सकता है, लेकिन वह भी डॉक्टर की सलाह पर ही देना बेहतर होता है।

इसलिए, अगर आप भी अब तक यह सोचकर शहद अपने शिशु को दे रहे थे कि यह प्राकृतिक है और नुकसान नहीं करेगा, तो अब सावधान हो जाएं। शहद भले ही बड़ों के लिए फायदेमंद हो, लेकिन छोटे बच्चों के लिए यह हानिकारक साबित हो सकता है। हमेशा किसी भी नई चीज़ को बच्चे की डाइट में शामिल करने से पहले बाल रोग विशेषज्ञ से सलाह लेना जरूरी है।

 

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