ऊना/सुशील पंडित: हिमाचल प्रदेश के जिला ऊना के उपमंडल हरोली के तहत पड़ती ग्राम पंचायत कुठार बीत के गांव मकौडगढ़ के वार्ड नंबर-6 में आंगनवाड़ी सहायिका की नियुक्ति को लेकर गलत दस्तावेजों के आधार पर नौकरी हथियाने का आरोप लगाया गया है इस सनसनीखेज मामले में आंगनवाड़ी सहायिका की नियुक्ति के समय बनाई गई कमेटी पर राजनीतिक दबाव के चलते कई सवाल खड़े हो रहे हैं, क्योंकि उपरोक्त वार्ड की नियुक्ति सभी नियमों को ताक पर रखकर की जाने की आशंका जताई जा रही है। वहरहाल, इस नियुक्ति पर अफसरशाही और राजनीति प्रभाव के चलते वैद्य प्रार्थी की जगह अवैध प्रार्थी को नियुक्त किए जाने की चर्चा है।
जिसको लेकर उपरोक्त पंचायत की कुसुम सुपुत्री तरसेम लाल जोकि आंगनवाड़ी सहायिका पद के लिए अपनी सभी औपचारिकताएं पूर्ण करते हुए इस नियुक्ति पर अपना हक जमाती हुई दावा कर रही है, उसने अपनी दास्तां सुनाते हुए बताया कि वह अपने माता-पिता की तीन बेटियां हैं उनका कोई भाई नहीं है और माता-पिता का साया तीनों बहनों के सिर से उठ चुका है, दो बहने अपने ससुराल में रहती है जबकि वह अपने मायके में ही रहती है उसके पति डिस्क की बीमारी से पीड़ित है। कुसुम ने बताया कि उनके पास रहने के लिए मकान तक नहीं है और वह पीर बाबा के मंदिर में रहती हैं तथा बीपीएल परिवार से संबंध रखती है।
उन्होंने बताया कि सितंबर 2024 में उनके वार्ड में आंगनबाड़ी सहायिका की नौकरी निकली थी, जिसके चलते उन्होंने सभी दस्तावेज पूर्ण कर उक्त पद के लिए आवेदन किया था और सभी आवेदनकर्ताओं में से मेरे अंक सबसे ज्यादा थे लेकिन फिर भी संबंधित विभाग द्वारा गठित कमेटी ने जिस महिला को नियुक्त किया है उसका आय प्रमाण पत्र 45 हजार रुपए का है जबकि मैंने 40 हजार रुपए का प्रस्तुत किया है और साथ में मेरा बीपीएल प्रमाण पत्र भी लगा हुआ था जबकि दूसरे प्रार्थी के पति सरकारी ठेकेदार है और नियुक्ति वर्ष में उन्होंने 22 लाख के करीब सरकारी कार्य भी किए हैं तथा इनकम टैक्स रिटर्न एवं जीएसटी भी भरा है। इतना ही नहीं कुसुम ने दुखी हृदय से कहा कि जिस महिला को आंगनबाड़ी सहायिका नियुक्त किया गया है उसका पति जल शक्ति विभाग में मल्टी टास्क वर्कर पर भी कार्यरत है, तो उसका न्यूनतम आय प्रमाण पत्र विभाग द्वारा कैसे बनाया गया है। जिससे साफ है कि यह एक बहुत बड़ा घोटाला एवं राजनीतिक षड्यंत्र है।
उन्होंने पंचायत सचिव पर भी आरोप लगाते हुए कहा कि पंचायत सचिव द्वारा नियुक्त की गई महिला के परिवार रजिस्टर में भी तीन से चार बार छेड़खानी की गई है क्योंकि पंचायत सचिव द्वारा नियुक्त की गई महिला के पति को परिवार रजिस्टर में कभी मजदूर, कभी किसान तो कभी विद्यार्थी दर्शाया गया है, जबकि उस दौरान वह जल शक्ति विभाग में मल्टी टास्क वर्कर पर कार्यरत है और ठेकेदारी कर रहा है।
कुसुम ने बताया कि उपरोक्त तानाशाही की शिकायत उन्होंने तमाम सबूतों सहित प्रदेश के मुख्यमंत्री और जिलाधीश महोदय ऊना को दी थी, जिसकी जांच अतिरिक्त जिलाधीश ऊना कर रहे हैं लेकिन 6-7 महीने बीत जाने के बाद भी उसे अभी तक कोई न्याय व इंसाफ नहीं मिला है। उन्होंने प्रदेश सरकार और जिला प्रशासन से गुहार लगाई है कि इस घोर अन्याय की निष्पक्ष जांच शीघ्र अति शीघ्र की जाए, ताकि गरीबों को उनका हक मिल सके।
निष्पक्षता से की जा रही जांच: महेंद्र पाल गुर्जर (एडीसी)
वहीं इस मामले में जांच कर रहे अतिरिक्त उपायुक्त ऊना महेंद्र पाल गुर्जर ने बताया कि उपरोक्त नियुक्ति की जांच निष्पक्षता से की जा रही है, उन्होंने 15 दिनों के भीतर-भीतर नियुक्ति के समय लगाए गए दस्तावेजों का ब्यौरा संबंधित विभाग को उपलब्ध करवाने के आदेश दिए हैं उन्होंने कहा कि जल्द ही नियमानुसार इस मामले का पारदर्शिता के साथ निष्पादन किया जाएगा।