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ऊना में मिशन मोड पर एंटी-चिट्टा अभियान

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सभी पंचायतों में नशा निवारण समितियां गठित, संवेदनशील पंचायतों में खुद डीसी–एसपी करेंगे प्रत्यक्ष निगरानी

ऊना/सुशील पंडित: हिमाचल प्रदेश सरकार का एंटी-चिट्टा अभियान ऊना जिले में मिशन मोड में चलाया जाएगा। जनभागीदारी को केंद्र में रखते हुए इसे एक व्यापक जन आंदोलन का रूप दिया जाएगा, ताकि युवाओं को चिट्टे की गिरफ्त से प्रभावी ढंग से बचाया जा सके।

यह जानकारी उपायुक्त ऊना, जतिन लाल ने विधानसभा भवन धर्मशाला से मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू की अध्यक्षता में आयोजित राज्य स्तरीय राष्ट्रीय नार्को समन्वय पोर्टल (एन-कॉर्ड) बैठक में दी। उपायुक्त ने ऊना से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बैठक में भाग लिया। बैठक के दौरान एसपी अमित यादव भी उपायुक्त कार्यालय के एनआईसी कक्ष में उनके साथ उपस्थित रहे।

मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने बैठक में नशा उन्मूलन अभियान को समुदाय-आधारित जन आंदोलन बनाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि नशे के खात्मे के लिए प्रशासनिक सख्ती के साथ सामाजिक जागरूकता और सामुदायिक सहभागिता अत्यंत आवश्यक है।

डीसी और एसपी खुद संवेदनशील पंचायतों में करेंगे प्रत्यक्ष निगरानी

उपायुक् ने बताया कि मुख्यमंत्री के नशा-मुक्त हिमाचल के संकल्प को साकार करने के लिए ऊना जिले की सभी 245 पंचायतों में नशा निवारण समितियां गठित की गई हैं। बता दें, डीसी और एसपी स्वयं संवेदनशील पंचायतों का दौरा करेंगे, जमीनी स्थिति की निगरानी करेंगे और अभियान को और प्रभावी बनाने के लिए प्रत्यक्ष फीडबैक लेंगे।

उन्होंने बताया कि एन-कॉर्ड के तहत जिला स्तरीय समन्वय बैठक प्रतिमाह आयोजित की जा रही है और नशे पर कड़ी निगरानी रखने के लिए बहु-स्तरीय तंत्र विकसित किया गया है। पंचायत स्तर पर गठित समितियां नशे की स्थिति का आकलन, संदिग्ध गतिविधियों की पहचान, जागरूकता कार्यक्रमों का संचालन और पुलिस–प्रशासन के साथ समन्वय स्थापित करने की जिम्मेदारी निभाएंगी।

ये होंगे समिति में शामिल, नशा उन्मूलन के लिए ठोस उपायबकी होगी जिम्मेदारी

समितियों में स्थानीय सरकारी स्कूल प्रधानाचार्य को अध्यक्ष,  तथा क्षेत्र के पुलिस हेड कांस्टेबल को सदस्य सचिव बनाया गया है। इसके अलावा पंचायत सचिव, महिला मंड-युवक मंडल प्रतिनिधि,आशा वर्कर, सामाजिक कार्यकर्ता, वरिष्ठ नागरिक और ग्राम रोजगार सहायक भी इसमें शामिल होंगे। पंचायत प्रधान, जिला परिषद सदस्य, पंचायत समिति सदस्य एवं वार्ड सदस्य समिति में एक्स-ऑफिशियो सदस्य होंगे।

उपायुक्त ने बताया कि समिति अपने पंचायत क्षेत्र में नशे की स्थिति का मूल्यांकन और नियमित समीक्षा करेगी। यह नशा बेचने वालों, उपभोक्ताओं और संदेहास्पद गतिविधियों की पहचान, निगरानी और संबंधित एजेंसियों को सूचना देने की जिम्मेदारी निभाएगी। समिति स्कूलों, समुदायों और सार्वजनिक स्थानों पर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करेगी और कानून-प्रवर्तन एजेंसियों तथा प्रशासन के साथ समन्वय स्थापित करने में सहयोग करेगी। इसके अलावा, प्रभावित परिवारों की पहचान कर उनकी सहायता के लिए योजना तैयार करने और नशा उन्मूलन हेतु सामुदायिक हस्तक्षेप व एक्शन प्लान सुझाने में भी समिति महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। एसडीएम अपने उपमंडलों में गठित समितियों की गतिविधियों की हर महीने समीक्षा करेंगे, ताकि कार्य की प्रभावशीलता सुनिश्चित हो।

वहीं, एसपी अमित यादव ने कहा कि ऊना जिले में चिट्टा से जुड़े मामलों में जीरो टॉलरेंस नीति अपनाई गई है। उन्होंने बताया कि कानून के सख्त प्रवर्तन के साथ-साथ जनभागीदारी पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है, जिससे नशा उन्मूलन अभियान और अधिक मजबूत हो सके।

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