नई दिल्लीः योग गुरु बाबा रामदेव और उनके सहयोगी आचार्य बालकृष्ण की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। एक और अदालत ने दोनों को 3 जून को पेश होने के लिए नोटिस थमा दिया। यह मामला अंग्रेजी और मलयालम समाचार पत्रों में भ्रामक विज्ञापन देने से संबंधित है। इस मामले में 3 जून को कोझिकोड में न्यायिक प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट की अदालत ने पेश होने के लिए कहा है। इसी साल अप्रैल महीने में कोझिकोड के सहायक औषधि नियंत्रक कार्यालय में तैनात ड्रग्स इंस्पेक्टर के द्वारा अदालत में ड्रग्स और जादुई उपचार (आपत्तिजनक विज्ञापन) अधिनियम, 1954 की धारा 10, धारा 3(बी) और 3(डी), 7(ए) के तहत मामला दर्ज कराया गया था। हाल ही में हरिद्वार की एक अदालत नेरी रामदेव और बालकृष्ण को हाजिर होने में विफल रहने के बाद समन जारी किया था।
पतंजलि के उत्पादों में से एक दिव्य लिपिडोम ने कोलेस्ट्रॉल और डिस्लिपिडेमिया को कम करने का दावा किया था। वहीं, पतंजलि न्यूट्रेला डायबिटिक केयर ने रक्त शर्करा के स्तर को कम करने और शरीर के वजन को नियंत्रित करने का दावा किया था। बता दें कि अधिनियम की धारा 3 कुछ बीमारियों और विकारों के इलाज के लिए कुछ दवाओं के विज्ञापन पर रोक लगाती है। दोषी पाए जाने पर छह महीने तक की कैद या जुर्माना हो सकता है। इससे पहले, तिरुवनंतपुरम, कोल्लम, एर्नाकुलम, त्रिशूर, कन्नूर और कोझिकोड में सहायक औषधि नियंत्रक के कार्यालयों ने पतंजलि के खिलाफ 29 मामले दर्ज किए थे। दिव्य फार्मेसी के खिलाफ पहली शिकायत कन्नूर स्थित नेत्र रोग विशेषज्ञ के.वी. बाबू द्वारा 22 फरवरी, 2022 को दर्ज की गई थी। राज्य औषधि नियंत्रण विभाग ने एक जांच का आदेश दिया, जिसमें अधिनियम के उल्लंघन के उदाहरण सामने आए।
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