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महंगाई का एक और बड़ा झटका, LPG सिलेंडर हुए महंगे

नई दिल्ली : भारत में इन दिनों पेट्रोल-डीजल के साथ-साथ खाद्य पदार्थ और एलपीजी सिलेंडर के दामों में काफी चढ़ाव देखने को मिल रहा है, जिससे आम लोगों की जेब का बजट बिगड़ता जा रहा है। वहीं आज आज यानि वीरवार को घरेलू व व्यावसायिक एलपीजी गैस दोनों के सिलेंडरों के दाम बढ़ाए गए हैं। इस माह दूसरी बार दाम बढ़ाए गए हैं।

राजधानी दिल्ली में रसोई गैस सिलेंडर अब 1000 रुपये पार पहुंच गया है। 14 किलो वाले घरेलू सिलेंडर में आज 3.50 रुपये की बढ़ोतरी हुई, जबकि 19 किलो वाले व्यावसायिक सिलेंडर की कीमत में आठ रुपये की बढ़ोतरी हुई है। 

गुरुवार से दिल्ली में घरेलू रसोई गैस सिलेंडर 1003 रुपये, मुंबई में 1002.50 रुपये, कोलकाता में 1029 रुपये और चेन्नई में 1018.50 रुपये में मिलेगा। इससे पूर्व 7 मई को घरेलू सिलेंडर के दाम में 50 रुपये की वृद्धि की गई थी। 

अब 19 किलो का व्यावसायिक सिलेंडर दिल्ली में 2354 रुपये, कोलकाता में 2454 रुपये, मुंबई में 2306 रुपये और चेन्नई में 2507 रुपये में मिलेगा। देशभर में अब घरेलू एलपीजी सिलेंडर के दाम 1000 रुपये के पार पहुंच गए हैं। एक साल में घरेलू सिलेंडर के दाम 800 रुपये से 1000 के पार पहुंच गए हैं। 

उधर, इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च ने बुधवार को रिपोर्ट में कहा है कि लगातार बढ़ रही महंगाई से चालू वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान राहत मिलने की उम्मीद नहीं है। इस दौरान पूरे वित्त वर्ष के दौरान औसत महंगाई नौ साल के उच्चतम स्तर पर 6.9 फीसदी रह सकती है। 

एजेंसी के मुताबिक बढ़ती महंगाई को काबू में करने के लिए रिजर्व बैंक अपनी ब्याज दर रेपो दर में 0.75 फीसदी की बढ़ोतरी कर सकता है। हालात गंभीर होने पर नीतिगत दर में 1.25 फीसदी तक वृद्धि की जा सकती है। इसके अलावा, नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) को भी चालू वित्त वर्ष के अंत तक 0.50 फीसदी बढ़ाकर 5 फीसदी किया जा सकता है। बढ़ती महंगाई को नियंत्रण में करने के लिए केंद्रीय बैंक ने 4 मई को बिना पूर्व-निर्धारित कार्यक्रम के रेपो दर में 0.40 फीसदी की बढ़ोतरी की थी। सीआरआर भी 0.50 फीसदी बढ़ाकर 4.5 फीसदी किया था। 

बता दें कि महामारी में मांग कम होने के बावजूद नवंबर, 2020 तक खुदरा महंगाई 6 फीसदी से ज्यादा रही। इसकी एक वजह आपूर्ति पक्ष का बाधित होना भी था। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2015-16 से लेकर 2018-19 तक लगातार चार साल पर खुदरा महंगाई औसतन 4.1 फीसदी रही थी। इसके बाद पहली बार दिसंबर, 2019 में यह 6 फीसदी के पार पहुंच गई थी, जो आरबीआई की ऊपरी सीमा से ज्यादा है।

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