Punjab News: श्री अकाल तख्त पहुंचे ज्ञानी हरप्रीत सिंह, सिख धार्मिक और राजनीतिक नेतृत्व से की ये अपील, देखें वीडियो

अमृतसरः तख्त श्री दमदमा साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह श्री अकाल तख्त साहिब पहुंचे। इस दौरान उन्होंने श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह जी से मुलाकात की। जानकारी के मुताबिक तख्त श्री दमदमा साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह जी विरसा सिंह वल्टोहा पर जो आरोप लगाए थे या धमकियां दी थी उससे उन्होंने भावुक होकर अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।

जिसके बाद शिरोमणि कमेटी के अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी और अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने उन्हें अपना इस्तीफा वापस लेने के लिए कहा था, जिसके बाद आज वह श्री अकाल तख्त साहिब पहुंचे और जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह से मुलाकात की। मीडिया से बात करते हुए ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने कहा कि हरप्रीत सिंह और वल्टोहा मीडिया में विवादित मुद्दा बनाने की कोशिश कर रहे हैं। वहीं इस मुलाकात बाद उन्होंने कहा कि मुझे पद का कोई लालच नहीं है। हमने सारा मामला अकाल पुरुख के सामने रखा था। श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार रघबीर सिंह ने मुझे पद पर बने रहने का आदेश दिया है।

ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने आगे कहा कि जब तक अकाल पुरख सेवा ले रहे हैं हम सेवा करते रहेंगे, जब अकाल पुरख का आदेश आएगा तो हम सेवा छोड़ देंगे। उन्होंने कहा कि सिंह साहबों द्वारा उठाई गई आवाज निश्चित तौर पर इतिहास रचेगी। इस दौरान उन्होंने अकाली नेता विरसा सिंह वल्टोहा के साथ हुए टकराव को भी दुर्भाग्यपूर्ण बताया।

जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने सिख धार्मिक और राजनीतिक नेताओं से आंतरिक विवादों को अस्थायी रूप से अलग रखकर और रॉयल कैनेडियन माउंटेड पुलिस (आरसीएमपी) सहित अंतरराष्ट्रीय सरकारों द्वारा उठाए गए अंतरराष्ट्रीय मुद्दों को हल करने की और ध्यान देने की अपील की है। इस संगठन ने हाल ही में एक बयान में कनाडा में काम करने वाले विदेशी सरकारों के एजेंट के साथ जुड़ी हिंस अपराधिक गतिविधियों बारे चिंता प्रगट की है।

इन गतिविधियों ने वैश्विक स्तर पर सिखों के अधिकारों और संरक्षण के महत्व को रेखांकित करते हुए फाइव आईज देशों का ध्यान आकर्षित किया है। ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने कहा कि दुनिया भर के सिखों को किसी से प्रमाणित प्रमाण पत्र की जरूरत नहीं है। देश की स्वतंत्रता, रक्षा और वैश्विक खाद्य निर्यातक में परिवर्तन में हमारा योगदान अच्छी तरह से प्रलेखित है। भले ही 1947 के विभाजन के दौरान समुदाय को बहुत नुकसान उठाना पड़ा। उन्होंने कहा कि हमें दुनिया भर में अपने समुदाय की सुरक्षा और गरिमा सुनिश्चित करने के लिए रणनीतिक रूप से कार्य करना चाहिए।

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