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30 या फिर 31 किस दिन मनाई जाएगी आंवला नवमी? जानें शुभ मुहूर्त और पौराणिक कथा

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धर्म: दीवाली भले ही खत्म हो गई है लेकिन हिंदू धर्म में अभी भी उत्सव खत्म नहीं हुई। 25 से 28 अक्टूबर तक छठ का महापर्व है। इसके बाद अक्षय नवमी का भी पर्व आने वाला है। अक्षय नवमी को आंवला नवमी भी कहते हैं। यह त्योहार हर साल कार्तिक महीने की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि वाले दिन मनाया जाता है। इस दिन आंवले के वृक्ष की खासतौर पर पूजा की जाती है हालांकि इस बार आंवला नवमी की तिथि को लेकर थोड़ी कफ्यूंजन है। कुछ लोगों का कहना है कि आंवला नवमी 30 की है वहीं कुछ लोगों का कहना है कि 31 अक्टूबर को आंवला नवमी है।

31 अक्टूबर को मनाई जाएगी आंवला नवमी

हिंदू पंचागों के अनुसार, नवमी तिथि 30 अक्टूबर सुबह 10:06 बजे से शुरु होगी और 31 अक्टूबर में सुबह 10:03 बजे खत्म होगी। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, अक्षय नवमी का पर्व 31 अक्टूबर को मनाया जाएगा।

शुभ योग और मुहूर्त

हिंदू पंचागों के अनुसार, इस बार अक्षय नवमी पर वृद्धि योग और रवि योग जैसे कई शुभ योग बने रहे हैं। 31 अक्टूबर को वृद्धि योग सुबह 6:17 बजे से पूरे दिन तक रहेगा। रवि योग भी सारा दिन रहेगा। इसके साथ ही शिववास योग भी इस दिन बन रहा है। मान्यताओं के अनुसार, इस दिन आंवले के पेड़ की पूजा, दान और उसके नीचे खाना खाने से अक्षय पुण्य मिलता है। इस दिन भगवान विष्णु और भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने के लिए विधि-विधान से उनकी पूजा-अर्चचना की जाती है।

आंवला नवमी से जुड़ी पौराणिक कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, इस दिन आंवले के वृक्ष की पूजा और उसके नीचे खाना खाने की परंपरा मां लक्ष्मी ने शुरु की थी। एक बार लक्ष्मी जी जब पृथ्वी पर भ्रमण करने के लिए आई थी तब उनके मन में भगवान विष्णु और भगवान शिव की संयुक्त पूजा करने का विचार मन में आया लेकिन उन्हें यह संशय भी हुआ कि दोनों देवों की एक साथ पूजा कैसे होगी। तभी उन्हें यह याद आया कि तुलसी भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय है और बेलपत्र भगवान शंकर को। दोनों के गुण आंवला के पेड़ में मौजूद होते है इसलिए उन्होंने आंवले के पेड़ को विष्णु और शिव दोनों का प्रतीक मानकर उसका पूजन किया। उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु और भगवान शिव वहां पर प्रकट हुए। इसके बाद में माता लक्ष्मी ने आंवले के वृक्ष के नीचे बैठकर खाना बनाया और दोनों देवताओं को भोग लगाया। इसके बाद उन्होंने खुद भी भोजन ग्रहण किया। तभी से अक्षय नवमी पर आंवले के वृक्ष की पूजा और उसके नीचे खाना करने की धार्मिक परंपरा चली आ रही है।

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