नई दिल्ली: अमेरिका ने पहले ही भारतीय सामानों के आयात पर 50% का टैरिफ लगाया था। इसमें से 50% टैरिफ रुस से तेल की खरीद को लेकर पेनाल्टी के तौर पर लगाया है। अब वहीं इसी क्रम में मेक्सिको ने भी भारत समेत कई एशियाई देशों पर 50% टैरिफ लगाने का ऐलान कर दिया है। मेक्सिको की सीनेट के द्वारा इसको मंजूरी भी दे दी गई है। मेक्सिको के इस तरह से टैरिफ बढ़ाने का मकसद अपने यहां की लोकल इंडस्ट्री को मजबूत बनाना है। मेक्सिको के इस फैसले के कारण ऑटो, ऑटो पार्ट्स, टेक्सटाइल, कपड़े, प्लास्टिक और स्टील पर 50% टैरिफ लगाया जाएगा। इसके अलावा भी ज्यादातर सामानों पर टैरिफ को बढ़ाकर 35% तक किया जा सकता है।
इस वजह से उठाया गया था कदम
सीनेट में जो प्रस्ताव पास हुए इसमें पहले वाले ड्राफ्ट के मुकाबले थोड़ी नरमी बरती गई है। इसमें लगभग 1400 इंपोर्ट लाइनों पर टैरिफ बढ़ाने की बात कही गई थी। नए प्रस्ताव में इनमें से दो तिहाई पर ड्यूटी कम कर दी गई है। खास बात यह है कि यह कदम चीन और लोकल बिजनेस ग्रूप्स के विरोध के बावजूद भी उठाया गया है। यह कदम मेक्सिको की ट्रेड पॉलिसी में बदलाव का संकेत देता है क्योंकि इससे आने वाले यूनाइटेड स्टेट्स-मेक्सिको-कनाडा एग्रीमेंट (USMCA) रिव्यू का सामना करना पड़ेगा। यह 1 जुलाई 2026 से शुरु हो जाएगा।
आखिर क्या होता है USMCA?
यूएसएमसीए अमेरिका, मेकिस्को और कनाडा के बीच में एक फ्री ट्रेड एग्रीमेंट होता है। यह एग्रीमेंट 1 जुलाई 2020 से लागू हुआ। इस समझौते के आर्टिकल 34.7 के अनुसार, हर छह साल में इसका रिव्यू होना जरुरी है ताकि यह सुनिश्चित हो पाए कि यह तीनों देशों के लिए फायदेमंद है। यदि समीक्षा में यह खरा उतरेगा तो इसको 2036 तक भी बढ़ाया जा सकता है।
घरेलू इंडस्ट्री होगी मजबूत
मेक्सिको सरकार का यह कहना है कि इस कदम से घरेलू इंडस्ट्री मजबूत बनेगी क्योंकि सस्ते आयात के कारण आस-पास की कंपनियों पर दबाव कम होगा परंतु इससे उन देशों के एक्सपोर्ट्स और लोकल बिजनेस ग्रूप्स का काफी झटका लग सकता जिन्हें टैरिफ बढ़ने की कोई उम्मीद नहीं थी। मेक्सिको के टैरिफ बढ़ाने की लागत काफी बढ़ जाएगी। खासतौर पर उन देशों पर ज्यादा होगा। जिनकी मेक्सिको के साथ कोई ट्रेड डील नहीं है जैसे कि चीन, भारत, साउथ कोरिया, थाइलैंड और इंडोनेशिया।