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75 साल बाद माघ महीने में बन रहा खास संयोग, जानें स्नान का महत्व

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धर्म: हिंदू कैलेंडर के अनुसार, पौष महीने के बाद माघ महीना शुरु हो जाता है। शास्त्रों में यह महीना दान-स्नान के लिए बहुत खास बताया गया है। माघ महीने के मेले का आयोजन उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में होता है। मान्यताओं के अनुसार, इस महीने में जो भी लोग गंगा स्नान करते हैं वो पापों से मुक्त हो जाते हैं। जीवन में हमेशा सुख-समृद्धि बनी रहती है और व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है।

इस महीने होता है साधु-संतों का मिलन

मान्यताओं के अनुसार, इस महीने में जो भी लोग गंगा स्नान करते हैं वो पाप से मुक्त हो जाते हैं। उनको जीवन में हमेशा सुख-स्मृद्धि मिलती है और मोक्ष प्राप्त होता है। माघ का मेला एक धार्मिक उत्सव होता है। इसमें साधु-संतों, गृहस्थों और आम-श्रद्धालुओं के आध्यात्मिक मिलन का मौका होता है। इस समय भक्त पूरी आस्था के साथ संगम तट पर पहुंचकर पवित्र स्नान करते हैं और भगवान के प्रति अपने भाव को प्रकट करते हैं।

इस दिन शुरु होगा माघ मेला

इस बार माघ महीना 3 जनवरी को पौष पूर्णिमा के साथ पौष महीने खत्म हो जाएगा। उसी दिन से माघ महीना शुरु हो जाएगा। माघ मेले की शुरुआत 3 जनवरी से हो जाएगी। यह मेला महाशिवरात्रि तक चलेगा। हिंदू पंचाग के अनुसार, इस बार महाशिवरात्रि 15 फरवरी को होगी ऐसे में माघ मेले का समापन भी 15 फरवरी को ही होगा।

बन रहे शुभ योग

ज्योति शास्त्रों की मानें तो माघ मेले की शुरुआत नए साल में 4 जनवरी को होगी। इस दिन त्रिपुष्कर जैसे अद्भूत योग बन रहे हैं। इसके बाद मेला खत्म रविवार को होगा। 75 साल के बाद रविवार वाले दिन सूर्य मकर राशि में जाने वाले हैं ऐसे में रविवार सूर्य का अपना दिन होता है इसलिए यह योग बहुत ही शुभ होगा।

इस मेले का महत्व

माघ महीना दान और पवित्र स्नान के लिए बहुत शुभ माना जाता है। शास्त्रों में यह बताया भी गया है कि इस महीने पवित्र नदियों में स्नान करने से व्यक्ति के पाप नष्ट होते हैं और अक्षय पुण्य मिलता है। इसी कारण मकर संक्रांति से लेकर पूरे माघ महीने तक बड़ी संख्या में श्रद्धालु संगम में पहुंचकर स्नान पूजा और साधना करते हैं। जो लोग महाकुंभ में शामिल नहीं हो पाए वो माघ महीने के इस पावन समय में संगम में डुबकी लगा सकते हैं।

 

 

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